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नई दिल्ली, एएनआइ। अयोध्या के राम जन्मभूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को पुर्नविचार याचिका दाखिल की जाएगी। यह याचिका जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से दर्ज कराई जानी है। वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी पुर्नविचार याचिका दाखिल करने की बात कही है। बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी ने कहा, ‘हम भी पुर्नविचार याचिका दाखिल करेंगे लेकिन आज नहीं। याचिका का मसौदा तैयार है और 9 दिसंबर के पहले किसी भी दिन इसे कोर्ट के समक्ष दायर करेंगे।’
बता दें कि आज के दिन ही बाबरी मस्जिद को गिराया गया था। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मौलाना वली रहमानी का कहना है कि मुस्लिम समुदाय का कानून में भरोसा है इसलिए ही पुनर्विचार याचिका दायर की जा रही है।
Publish Date:Mon, 02 Dec 2019 03:02 PM (IST)
राम जन्मभूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से पुर्नविचार याचिका दर्ज करा दी गई है।
नई दिल्ली, एएनआइ। अयोध्या के राम जन्मभूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को पुर्नविचार याचिका दाखिल की जाएगी। यह याचिका जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से दर्ज कराई जानी है। वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी पुर्नविचार याचिका दाखिल करने की बात कही है। बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी ने कहा, ‘हम भी पुर्नविचार याचिका दाखिल करेंगे लेकिन आज नहीं। याचिका का मसौदा तैयार है और 9 दिसंबर के पहले किसी भी दिन इसे कोर्ट के समक्ष दायर करेंगे।’
बता दें कि आज के दिन ही बाबरी मस्जिद को गिराया गया था। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मौलाना वली रहमानी का कहना है कि मुस्लिम समुदाय का कानून में भरोसा है इसलिए ही पुनर्विचार याचिका दायर की जा रही है।
इससे पहले मामले में कोर्ट के फैसले को लेकर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने पुनर्विचार याचिका दाखिल न करने का फैसला लिया था। वक्फ बोर्ड ने यह फैसला एक बैठक में किया था। इसमें कुल आठ लोग शामिल हुए थे जिसमें से छह पुनर्विचार याचिका दाखिल न किए जाने के पक्ष में थे। अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार यहां राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा। 17 नवंबर को ही जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कहा था कि कोर्ट के फैसले की समीक्षा के लिए वह अपने संवैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल करेगा।
मामले में कुल दस याचिकाकर्ताओं में से एक उत्तर प्रदेश में जमीयत के जनरल सेक्रेटरी मौलाना अशद रशीदी पुर्नविचार याचिका दायर करेंगे। उनका कहना है कि मामले में कोर्ट के फैसले का पहला हिस्सा और दूसरा हिस्सा एक दूसरे का विरोधाभासी है। उनके अनुसार, कोर्ट ने इस बात पर सहमति जताई है कि यहां मस्जिद का निर्माण मंदिर तोड़कर नहीं किया गया था और 1992 का मस्जिद विवाद अवैध है। फिर कोर्ट ने यह जमीन दूसरे पक्ष को क्यों दे दिया |