मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को हरेला पर्व की शुभकामना देते हुए कहा कि यह पर्व उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर और पर्यावरण संरक्षण की हमारी परंपरा का प्रतीक है। हरेला न केवल हरियाली और समृद्धि का संदेश देता है, बल्कि हमें पर्यावरण की देखभाल के प्रति जागरूक भी करता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरेला पर्व हमें अपनी धरती और पर्यावरण की देखभाल के प्रति प्रेरित करता है। आने वाली पीढ़ियों को शुद्ध और स्वस्थ वातावरण देने के लिए वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। वर्तमान समय में ग्लोबल वार्मिंग एक गंभीर समस्या है, हरेला पर्व इसके प्रभावों को कम करने का भी सन्देश देता है।उन्होंने सभी प्रदेशवासियों का आह्वान किया कि वे अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें और पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दें। मुख्यमंत्री ने इस दिशा में जन सहभागिता को महत्वपूर्ण बताते हुए सभी सामाजिक संगठनों और संस्थाओं से भी सहयोग की अपील की है।
उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड अपने धर्म, अध्यात्म और संस्कृति के लिए विख्यात है। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य और जैव विविधता पर्यटकों को आकर्षित करती है। इसलिए, पर्यावरण संरक्षण के प्रति हमारी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। हमें अपने जल स्रोतों, नदियों और गदेरों के पुनर्जीवन और संरक्षण के लिए निरंतर प्रयास करने होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे लोक पर्व हमारी सांस्कृतिक विरासत की पहचान हैं। राज्य की समृद्ध लोक संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए हम सभी को सामूहिक रूप से प्रयास करने होंगे। तभी हम अपनी सांस्कृतिक और पारंपरिक जड़ों से जुड़े रह पाएंगे और इसे अगली पीढ़ी तक पहुंचा पाएंगे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक रहने और इसे अपनी जीवन शैली का हिस्सा बनाने की भी अपील की।
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