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ई-बसों ने दून की फिजाओं में 700 टन कार्बन घुलने से रोका ।

स्मार्ट सिटी कंपनी के आंकड़ों के मुताबिक, कुछ महीनों में इन बसों ने 17 लाख किलोमीटर का सफर तय किया है। इतने सफर में करीब 4,41,000 लीटर डीजल की खपत होती, जिससे करीब 700 टन कार्बन निकलता। वहीं, ई-बसों ने करीब 10 लाख यूनिट बिजली खर्च की है।

राजधानी में सस्ते व आरामदायक सफर की सुविधा दे रही स्मार्ट सिटी की 30 इलेक्ट्रिक बसों ने फिजाओं में 700 टन से कार्बन घुलने से रोक दिया। स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने कुछ महीनों में 17 लाख किलोमीटर चलने वाली बसों से पर्यावरण संरक्षण के आंकड़ों में यह दावा किया है।

देहरादून में पर्यावरण प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत राजधानी में आईएसबीटी से मालदेवता, सहसपुर, राजपुर, रायपुर, सेलाकुई, सहस्त्रधारा और एयरपोर्ट तक 30 ई-बसों का संचालन किया जा रहा है। स्मार्ट सिटी कंपनी के आंकड़ों के मुताबिक, कुछ महीनों में इन बसों ने 17 लाख किलोमीटर का सफर तय किया है। इतने सफर में करीब 4,41,000 लीटर डीजल की खपत होती, जिससे करीब 700 टन कार्बन निकलता। वहीं, ई-बसों ने करीब 10 लाख यूनिट बिजली खर्च की है।

स्मार्ट सिटी के सहायक अभियंता परिक्षित भंडारी ने बताया कि एक लीटर डीजल (0.85 किलोग्राम) में भारी वाहनों से करीब 1.5 किग्रा तक कार्बन उत्सर्जन होता है। इस तरह 4,41,000 लीटर डीजल जलने पर 700 टन से ज्यादा कार्बन का उत्सर्जन होता।

दून में प्रदूषण
वर्ष- पीएम-10
2011-138.32
2012-176.72
2013-168.12
2022-195.16
 
नुकसान
विशेषज्ञों के मुताबिक, वायुमंडल में कार्बन की मात्रा बढ़ने से पर्यावरणीय असंतुलन को बढ़ावा मिलता है। इससे बाढ़, सूखा, बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि असंतुलन का खतरा पैदा हो जाता है। वहीं कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को भी भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
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