देहरादून।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विजय दिवस के अवसर पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए 1971 के युद्ध में शहीद हुए सभी वीर बलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे वीर जवानों ने अपने अदम्य साहस, शौर्य और सर्वोच्च बलिदान से राष्ट्र की अखंडता और स्वाभिमान की रक्षा की। 1971 का युद्ध भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के लगभग 93 हजार सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था। इस ऐतिहासिक विजय में वीरभूमि उत्तराखंड के 248 सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश के 74 सैनिकों को वीरता पदकों से सम्मानित किया गया, जो उत्तराखंड के लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का लगभग हर परिवार किसी न किसी रूप में सेना से जुड़ा हुआ है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय सेना का मनोबल लगातार बढ़ा है और सेना को अत्याधुनिक तकनीक व हथियारों से सुसज्जित किया गया है। आज भारत रक्षा सामग्री के निर्यातक शीर्ष देशों में शामिल हो चुका है।
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंधु के माध्यम से भारत ने यह साबित कर दिया कि हमारे स्वदेशी हथियार—आकाश मिसाइल, डिफेंस सिस्टम और ब्रह्मोस मिसाइल—दुनिया में किसी से कम नहीं हैं। आज यह नया भारत है, जो दुश्मनों की हर नापाक हरकत का मुंहतोड़ जवाब देता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें सैनिकों के कल्याण के लिए निरंतर कार्य कर रही हैं। वन रैंक वन पेंशन, नेशनल वॉर मेमोरियल, रक्षा बजट में वृद्धि और सीमावर्ती क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर का सुदृढ़ीकरण इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड सरकार ने शहीदों के आश्रितों को मिलने वाली अनुग्रह राशि 10 लाख से बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दी है।
वीरता पुरस्कारों की राशि में भी ऐतिहासिक वृद्धि की गई है—
- परमवीर चक्र: 50 लाख से बढ़ाकर 1.50 करोड़ रुपये
- अशोक चक्र: 30 लाख से बढ़ाकर 50 लाख रुपये
- महावीर चक्र व कीर्ति चक्र: 20 लाख से बढ़ाकर 35 लाख रुपये
- वीर चक्र व शौर्य चक्र: 15 लाख से बढ़ाकर 25 लाख रुपये
मुख्यमंत्री ने कहा कि शहीद सैनिकों के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का निर्णय लिया गया है। सरकारी नौकरी के लिए आवेदन की अवधि भी 2 वर्ष से बढ़ाकर 5 वर्ष कर दी गई है। इसके साथ ही नौकरी पूर्व प्रशिक्षण, पुत्री विवाह अनुदान जैसी योजनाएं भी संचालित की जा रही हैं।
राज्य में वीरता पुरस्कार प्राप्त सैनिकों और पूर्व सैनिकों को सरकारी बसों में निःशुल्क यात्रा, तथा सेवारत व पूर्व सैनिकों को 25 लाख रुपये तक की संपत्ति खरीद पर स्टाम्प ड्यूटी में 25% छूट दी जा रही है। देहरादून के गुनियाल गांव में भव्य सैन्य धाम का निर्माण भी प्रगति पर है।
इस अवसर पर सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि 1971 के युद्ध में देश के करीब 4 हजार सैनिक शहीद हुए, जिनमें उत्तराखंड के 248 शहीद शामिल थे। लगभग 9 हजार सैनिक घायल हुए और 74 सैनिकों को वीरता पुरस्कार मिले। उन्होंने कहा कि सैनिकों का सम्मान हर देशवासी का कर्तव्य है।
कार्यक्रम में विधायक खजान दास, विधायक सविता कपूर, सचिव सैनिक कल्याण दीपेन्द्र चौधरी, मेजर जनरल (से.नि.) सम्मी सबरवाल, पूर्व सैनिक, वीरांगनाएं और बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।














