देहरादून। सशस्त्र बलों के लिए तकनीकी नवाचार को बढ़ाने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास में मुख्यालय एकीकृत रक्षा स्टाफ और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
मुख्यालय एकीकृत रक्षा स्टाफ (एचक्यू आईडीएस) और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता रक्षा अनुसंधान एवं विकास में सहयोग को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य भारतीय सशस्त्र बलों के लिए तकनीकी नवाचार को बढ़ाना है। इस समझौता ज्ञापन पर एकीकृत रक्षा स्टाफ के उप प्रमुख, मुख्यालय आईडीएस, वाइस एडमिरल संजय वात्स्यायन और अतिरिक्त सचिव, डीएसटी सुनील कुमार ने एकीकृत रक्षा स्टाफ के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जेपी मैथ्यू और सचिव डीएसटी अभय करंदीकर की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए। इस साझेदारी का उद्देश्य रक्षा प्रौद्योगिकी अनुसंधान को राष्ट्रीय विज्ञान पहलों के साथ जोड़कर सशस्त्र बलों की उभरती जरूरतों को पूरा करने के लिए डीएसटी की व्यापक अनुसंधान एवं विकास क्षमताओं का लाभ उठाना है, जिससे महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में रक्षा क्षेत्र की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी। इस समझौता ज्ञापन के तहत, डीएसटी रक्षा क्षेत्र की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने अनुसंधान बुनियादी ढांचे, विशेषज्ञता और शैक्षणिक संस्थानों तक पहुंच की सुविधा प्रदान करेगा। सहयोग उन्नत सैन्य प्रौद्योगिकियों के विकास और नवाचार को बढ़ावा देने पर केंद्रित होगा, जो महत्वपूर्ण रक्षा क्षमताओं में आत्मनिर्भरता के निर्माण के समग्र लक्ष्य में योगदान देगा। यह साझेदारी अत्याधुनिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के साथ संरेखित है, और देश की रक्षा तैयारियों को बढ़ाने के लिए पूरे देश के दृष्टिकोण पर जोर देती है।