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उत्तराखण्ड हाई कोर्ट ने अवैध खनन को लेकर राज्य सरकार से शपथपत्र दाखिल करने को कहा

उत्तराखण्ड हाई कोर्ट ने रामनगर और अन्य जगहों पर हो रहे अवैध खनन को लेकर दायर अलग अलग जनहित याचिकाओं में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से कल तक शपथपत्र दाखिल करने को कहा है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खण्डपीठ ने
मामले की अगली सुनवाई 13 दिसम्बर को तय की है।न्यायालय ने पूर्व में नदियों में मशीन से हो रहे खनन पर रोक लगा दी थी। इस रोक को हटाने के लिए सरकार ने आदेश को संशोधन करने की मांग की है।

प्रार्थनापत्र में सरकार की ओर से कहा गया कि न्यायालय ने बीते वर्ष नदियों से मलबा हटाने के लिये मशीनों के प्रयोग पर रोक लगा दी थी। इससे कई दिक्कतें आ रही हैं।मैनुअल (हाथों से) मलबा उठाना संभव नहीं है। सरकार मानिटरिंग के लिये ठोस कदम उठा रही है। कमेटियों का गठन किया गया है।

न्यायालय ने आज खनन सबंधित कई जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की। पूर्व में न्यायालय ने अवैध खनन पर रोक लगाते हुए एंटी माइनिंग फोर्स गठित करने को कहा था, साथ में ड्रेजिंग पर रोक लगाते हुए कहा था कि नदियों से ड्रेजिंग सरकारी एजेंसियों द्वारा ही की जाए और इस दौरान निकलने वाली माइनिंग सामग्री का परिवहन नही किया जाए।

गुलजारपुर निवासी प्रिन्सपाल सिंह और गगन प्रसार ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि उधम सिंह नगर जिले में रामनगर रेंज के गुलजारपुर स्थित जंगलों से लगातार अवैध खनन हो रहा है। इसे तत्काल रोका जाए, क्योंकि इससे वन संपदा को भी नुक्सान हो रहा है।

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