वॉशिंगटन।
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को चीन के खिलाफ तीखे तेवर अपनाते हुए न सिर्फ 100 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ की धमकी दी, बल्कि इस महीने प्रस्तावित एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात भी रद्द करने के संकेत दिए।
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर कहा कि ये कदम बीजिंग के “आक्रामक और शत्रुतापूर्ण” रुख के जवाब में उठाए जा रहे हैं। विशेष रूप से उन्होंने चीन द्वारा “रेयर अर्थ एक्सपोर्ट” पर नियंत्रण के लिए दुनिया भर के देशों को भेजे गए पत्रों को लेकर नाराजगी जताई।
रेयर अर्थ मेटल्स — जो स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहनों, सैन्य हार्डवेयर और ग्रीन एनर्जी तकनीक के लिए बेहद जरूरी होते हैं — उनके उत्पादन और प्रोसेसिंग में चीन का वैश्विक प्रभुत्व है। ट्रंप का आरोप है कि चीन इन सामग्रियों का इस्तेमाल दुनिया को “बंधक” बनाने के लिए कर रहा है।
उन्होंने लिखा, “यह विश्वास करना कठिन है कि चीन ऐसा कदम उठाएगा, लेकिन उन्होंने उठाया है — और अब बाकी इतिहास है।”
ट्रंप ने ऐलान किया कि 1 नवंबर से चीन पर 100% अतिरिक्त टैरिफ लागू किए जाएंगे, साथ ही कुछ महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर पर अमेरिकी निर्यात नियंत्रण भी बढ़ेगा। वर्तमान में चीन के कई उत्पादों पर 30% टैरिफ लगाया गया है, जो पहले ट्रंप प्रशासन के दौरान फेंटेनाइल जैसे अवैध ड्रग्स के व्यापार में चीन की भूमिका और अन्य “अनुचित व्यापार प्रथाओं” के खिलाफ लगाया गया था।
इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर 10% का टैरिफ लगाया हुआ है। लेकिन नई घोषणा ने दोनों देशों के बीच पहले से तनावपूर्ण व्यापार संबंधों को और अधिक जटिल बना दिया है।
ट्रंप के बयान के बाद अमेरिकी शेयर बाजारों में गिरावट दर्ज की गई। नैस्डैक 3.6% और एसएंडपी 500 2.7% नीचे आ गया। विशेष रूप से टेक और ग्रीन एनर्जी कंपनियों पर इसका गहरा असर पड़ा, जो चीन से आयातित रेयर अर्थ मेटल्स पर निर्भर हैं।
ट्रंप ने यह भी कहा कि वह अब शी जिनपिंग से APEC शिखर सम्मेलन में मिलने के इच्छुक नहीं हैं। यह बैठक दो सप्ताह बाद दक्षिण कोरिया में होनी है, और दोनों नेताओं के बीच यह पहली मुलाकात होती जब से ट्रंप ने फिर से सत्ता में वापसी की है।
उन्होंने कहा, “अब इस बैठक का कोई मतलब नहीं दिखता।”
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप के ये कदम अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर को फिर से भड़का सकते हैं। हालांकि यह अभी शुरुआती चेतावनी मानी जा रही है, लेकिन अगर दोनों पक्षों ने सुलह के संकेत नहीं दिए, तो इसका असर वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं और बाजारों पर गहरा पड़ सकता है।