उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को संजोते हुए “श्री रामकृष्ण लीला समिति टिहरी 1952, देहरादून” द्वारा आयोजित भव्य रामलीला महोत्सव 2025 के तीसरे दिन की लीला ‘राज्य आंदोलनकारी सम्मान दिवस’ को समर्पित रही। कार्यक्रम का आयोजन रेसकोर्स स्थित श्री गुरु नानक मैदान में नवरात्र के शुभ अवसर पर चल रहा है, जो 3 अक्टूबर तक जारी रहेगा।
इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष अभिनव थापर ने कहा कि पुरानी टिहरी, उत्तराखंड आंदोलन की जननी रही है, और इस मंच से उन सभी वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई, जिन्होंने राज्य निर्माण में अपनी आहुति दी। रामलीला मंचन से पहले शहीद आंदोलनकारियों को श्रद्धा-सुमन अर्पित कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई।
राम–सीता विवाह, लक्ष्मण–परशुराम संवाद ने बांधा समां
तृतीय दिवस की रामलीला में “सीता स्वयंवर”, “धनुष भंग” और “परशुराम-लक्ष्मण संवाद” का सजीव मंचन हुआ, जिसमें कलाकारों की दमदार प्रस्तुति ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
- राम–सीता विवाह के दृश्य में मंच और मैदान में पुष्पवर्षा ने दिव्यता का वातावरण बनाया।
- हास्य अभिनय के माध्यम से स्वयंवर में आए राजाओं ने दर्शकों को खूब हंसाया।
- वहीं, लक्ष्मण और परशुराम के संवाद में कलाकारों ने पौराणिक संवादों और चौपाइयों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
- Laser और Sound Show के माध्यम से आरती और धार्मिक दृश्य बेहद आकर्षक रहे।
कार्यक्रम में मेयर सौरभ थपलियाल, राज्य आंदोलनकारी मंच के अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी, प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती, रामलाल खंडूरी, अमित ओबेरॉय, अमित पंत, गिरीश पैन्यूली, दुर्गा भट्ट, अजय पैन्यूली, डॉ. नितिन डंगवाल, नीता बहुगुणा, शशि पैन्यूली समेत कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्व शामिल हुए।
पुरानी टिहरी की विरासत को देहरादून में पुनर्जीवित करने का संकल्प
अभिनव थापर ने बताया कि पुरानी टिहरी में 1952 से चली आ रही ऐतिहासिक रामलीला को टिहरी के जलमग्न होने के बाद देहरादून में पुनर्जीवित किया गया है। 2024 में रामलीला को 55 लाख से अधिक दर्शकों ने डिजिटल माध्यमों से देखा था, जबकि इस बार इसका Digital Live Telecast System के जरिए 75 लाख दर्शकों तक पहुंचने का अनुमान है।
इस बार रामलीला सिर्फ मंचन तक सीमित नहीं है, बल्कि उत्तराखंड की पारंपरिक संस्कृति का भी अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है।
भजन संध्या, लोक नृत्य, और पारंपरिक संगीत के कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं।
आगामी दिनों में भव्य कलश यात्रा, विशाल मेला, और 2 अक्टूबर को रावण, मेघनाथ व कुंभकरण के पुतलों के दहन का कार्यक्रम आकर्षण का केंद्र रहेगा।
Laser & Sound Show और डिजिटल प्रसारण के माध्यम से यह आयोजन केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि उत्तराखंड की पीढ़ियों को उनके गौरवशाली इतिहास और सनातन परंपराओं से जोड़ने का माध्यम बनता जा रहा है।