पटना | 3 नवंबर 2025:
बिहार की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है। मोकामा सीट से जेडीयू उम्मीदवार और बाहुबली छवि वाले नेता अनंत सिंह के जेल जाने के बाद अब मोकामा की सियासी तस्वीर तेजी से बदल रही है।
दुलारचंद यादव हत्याकांड में गिरफ्तारी के बाद जैसे ही अनंत सिंह न्यायिक हिरासत में गए, केंद्रीय मंत्री और जेडीयू के वरिष्ठ नेता ललन सिंह ने मोर्चा संभाल लिया।
माना जा रहा है कि यह चुनाव अब सिर्फ एक सीट नहीं, बल्कि जेडीयू के राजनीतिक वजूद और जन सुराज की चुनौती के बीच सीधी टक्कर बन चुका है।
पटना की एक अदालत ने रविवार को अनंत सिंह और उनके दो साथियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया।
तीनों पर जन सुराज पार्टी समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या का आरोप है।
पुलिस के अनुसार, शनिवार देर रात मोकामा के बरह स्थित आवास से अनंत सिंह को गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस ने बताया कि प्रारंभिक जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह मामला हत्या का प्रतीत होता है, जिसमें मृतक को हृदय और फेफड़ों में गंभीर चोटें आई थीं।
अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद जेडीयू के वरिष्ठ नेता ललन सिंह ने मोकामा में चुनावी मोर्चा संभाल लिया है।
डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी के साथ रोड शो करते हुए ललन सिंह ने कहा —
“जब अनंत बाबू थे, मेरी जिम्मेदारी कम थी। अब जब वे नहीं हैं, तो मेरी जिम्मेदारी और बढ़ गई है। अब मोकामा का हर कार्यकर्ता अनंत सिंह बनकर चुनाव लड़ेगा।”
ललन सिंह ने कार्यकर्ताओं को आश्वस्त किया कि पार्टी एकजुट है और नीतीश कुमार के कानून के राज में किसी निर्दोष को सजा नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा कि जांच पूरी होने के बाद “षड्यंत्र का सच सामने आएगा”।
पुलिस जांच के अनुसार, कुछ दिन पहले दुलारचंद यादव की अनंत सिंह के समर्थकों से झड़प हुई थी।
गुरुवार को दुलारचंद मोकामा में जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी के लिए प्रचार कर रहे थे, तभी उनकी मौत रहस्यमय परिस्थितियों में हो गई।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पुष्टि की कि मौत चोटों से हुए कार्डियोरेस्पिरेटरी फेल्योर के कारण हुई।
मोकामा विधानसभा सीट लंबे समय से अनंत सिंह का गढ़ मानी जाती है।
अब उनकी गैरमौजूदगी में ललन सिंह की एंट्री से यहां सियासी समीकरण पूरी तरह बदल गए हैं।
एक ओर जेडीयू अपने जनाधार को बचाने की कोशिश कर रही है, तो दूसरी ओर जन सुराज पार्टी इस मुद्दे को जनता के बीच “राजनीतिक उत्पीड़न” के रूप में पेश कर रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मोकामा की यह जंग “नेता बनाम प्रतीक” की बन चुकी है —
जहाँ जेल में बंद अनंत सिंह एक प्रतीक बनकर उभर रहे हैं, वहीं ललन सिंह मैदान में पार्टी की साख बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।
मोकामा में अब माहौल गर्म है। जेडीयू अपने प्रचार को “कानून का सम्मान, विकास का साथ” के संदेश के साथ आगे बढ़ा रही है,
जबकि जन सुराज पार्टी “सत्ता का दुरुपयोग और निर्दोष पर कार्रवाई” का मुद्दा उठा रही है।
आने वाले दिनों में यह सीट न केवल पटना, बल्कि पूरे बिहार की राजनीति में सत्ता संतुलन का संकेत दे सकती है।













