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बांग्लादेश में उस्मान हादी की हत्या से सियासी भूचाल, यूनुस सरकार पर लगे संगीन आरोप

ढाका। बांग्लादेश में छात्र नेता और इंक़िलाब मंच के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी की हत्या ने देश की राजनीति को झकझोर कर रख दिया है। 12 दिसंबर को ढाका में अज्ञात हमलावरों द्वारा गोली मारे जाने के बाद इलाज के लिए उन्हें सिंगापुर ले जाया गया था, जहां 18 दिसंबर को उनकी मौत हो गई। अब इस मामले में हादी के भाई शरीफ उमर बिन हादी ने अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस पर सीधा आरोप लगाया है कि यह हत्या चुनाव टालने की साजिश का हिस्सा है।

मंगलवार को ढाका के शाहबाग इलाके में हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान उमर हादी ने सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा,
“तुमने ही उस्मान हादी की हत्या करवाई। अब इस घटना को बहाना बनाकर फरवरी में होने वाले चुनाव को पटरी से उतारना चाहते हो।”

उन्होंने दावा किया कि हत्या का मकसद देश में अराजकता फैलाना और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को रोकना है। उमर ने चेतावनी दी कि यदि दोषियों को सजा नहीं मिली तो सत्ता में बैठे लोगों को भी एक दिन देश छोड़कर भागना पड़ेगा, जैसे पहले शेख हसीना को करना पड़ा था।

हादी हत्याकांड में मुख्य आरोपी फैसल करीम मसूद समेत कई लोग अभी भी फरार हैं। पुलिस अब तक 13 लोगों को गिरफ्तार करने का दावा कर चुकी है, लेकिन इंक़िलाब मंच ने इसे नाकाफी बताते हुए सरकार को 30 दिन का अल्टीमेटम दिया है। मंच का कहना है कि यदि हत्यारों को जल्द गिरफ्तार नहीं किया गया तो देशव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा।

हादी की मौत के बाद हालात और संवेदनशील हो गए हैं। पहले कट्टरपंथी संगठनों ने इस घटना के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया, जिसके बाद हिंदू समुदाय को निशाना बनाया जाने लगा।

चटगांव के रावजान इलाके में दो हिंदू परिवारों – जयंती संघा और बाबू शुकुशील – के घरों में आग लगा दी गई।

हमलावरों ने पहले बाहर से ताले लगाए और फिर घरों को फूंक दिया। किसी तरह परिवार खिड़कियां तोड़कर जान बचा पाए, लेकिन घर और पालतू जानवर जलकर खाक हो गए।

गांव में पोस्टर लगाए गए, जिनमें हिंदुओं को “आखिरी चेतावनी” दी गई।

इसके अलावा मेमनसिंह में दीपू चंद्र दास नामक हिंदू युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई और शव को पेड़ से लटकाकर जला दिया गया।

इन घटनाओं के बाद भारत में भी आक्रोश देखने को मिल रहा है। दिल्ली में बांग्लादेश हाई कमीशन के बाहर विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने प्रदर्शन किया।
कोलकाता, मुंबई, लखनऊ, कानपुर, भोपाल और रांची समेत कई शहरों में यूनुस सरकार के खिलाफ नारेबाजी हुई और बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा की मांग उठी।

इस पूरे घटनाक्रम के बीच 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे और बीएनपी के कार्यवाहक चेयरमैन तारिक रहमान 17 साल के निर्वासन के बाद लंदन से ढाका लौट रहे हैं। लाखों समर्थकों के उनके स्वागत की तैयारी है, जिससे फरवरी में होने वाले चुनावों का समीकरण और बदल सकता है।

शरीफ उस्मान हादी की हत्या अब सिर्फ एक आपराधिक मामला नहीं रही, बल्कि यह बांग्लादेश में चुनावी स्थिरता, सत्ता संघर्ष और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का बड़ा सवाल बन चुकी है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इन घटनाओं पर नजर बनाए हुए है। अगर हालात जल्द नहीं सुधरे, तो बांग्लादेश एक बड़े राजनीतिक और सामाजिक संकट की ओर बढ़ सकता है।