नई दिल्ली। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परपोते चंद्र कुमार बोस ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक भावुक पत्र लिखकर नेताजी के अवशेषों को जापान से भारत वापस लाने की अपील की है। उन्होंने लिखा है कि नेताजी के अवशेष जापान के टोक्यो स्थित रेनकोजी मंदिर में रखे हुए हैं और अब समय आ गया है कि उन्हें उनकी मातृभूमि भारत लाया जाए।
चंद्र कुमार बोस ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि आने वाली पीढ़ियों के लिए नेताजी और आज़ाद हिंद फौज (INA) की विरासत को और अधिक सम्मानजनक ढंग से संरक्षित किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि 21 अक्टूबर 2025 को सिंगापुर में नेताजी द्वारा आज़ाद हिंद की प्रोविजनल सरकार की स्थापना के 80 वर्ष पूरे होने पर समारोह आयोजित किया गया था। इसके साथ ही दिल्ली में इंडियन नेशनल आर्मी का स्मारक बनाने की योजना भी है, जहां नेताजी के अवशेषों को सम्मानपूर्वक रखा जा सकता है।
उन्होंने लिखा कि दशकों से INA के पूर्व सैनिकों, नेताजी की पुत्री प्रोफेसर अनीता बोस-फाफ और उनके परिवार के अन्य सदस्यों ने भारत सरकार से अवशेषों को वापस लाने की अपील की है, लेकिन अब तक यह प्रयास सफल नहीं हो सका। चंद्र कुमार बोस ने राष्ट्रपति से इस विषय में सकारात्मक पहल करने का आग्रह किया है।
चंद्र कुमार बोस “द ओपन प्लेटफॉर्म फॉर नेताजी” के कन्वीनर हैं और एक सोशियो-पॉलिटिकल कमेंटेटर तथा एक्टिविस्ट भी हैं। उनके पिता आरामबाग लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं।
उन्होंने लंदन के हेंड्रिक्स कॉलेज से अर्थशास्त्र की पढ़ाई की और बाद में कोलकाता आईआईएम से मैनेजमेंट की डिग्री प्राप्त की। चंद्र कुमार बोस ने टाटा ग्रुप में लगभग 18 वर्षों तक काम किया और फिर अपनी आईटी व कंसल्टेंसी कंपनी शुरू की।
राजनीतिक सफर की बात करें तो वे 2016 में बीजेपी में शामिल हुए थे। उन्होंने 2016 में भवानीपुर और 2019 में कोलकाता दक्षिण से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों बार हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2023 में वैचारिक मतभेदों का हवाला देते हुए उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
नेताजी के अवशेषों को भारत लाने की यह मांग एक बार फिर इतिहास, सम्मान और राष्ट्रगौरव से जुड़े इस संवेदनशील मुद्दे को चर्चा के केंद्र में ले आई है।















