आज का दिन भारत के रक्षा क्षेत्र के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज होने जा रहा है। भारतीय वायुसेना (IAF) को मजबूती देने और स्वदेशी सैन्य शक्ति को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए, सरकार और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बीच एक और बड़ी डील पर मुहर लग सकती है।
सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार आज HAL के साथ ₹66,500 करोड़ रुपये की ऐतिहासिक डील पर हस्ताक्षर कर सकती है, जिसके तहत वायुसेना को 97 तेजस Mark-1A लड़ाकू विमान मिलेंगे। यह डील अब तक की सबसे बड़ी स्वदेशी रक्षा डील होगी।
भारतीय वायुसेना के पुराने मिग-21 विमानों को अब सेवा से बाहर किया जा रहा है। इनके रिटायर होते ही वायुसेना की स्क्वाड्रन संख्या घटकर 29 रह जाएगी, जो भारत की रक्षा जरूरतों के लिहाज से खतरनाक रूप से कम है। ऐसे में तेजस जैसे आधुनिक और बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान वायुसेना की ताकत को नया संबल देंगे।
एक स्क्वाड्रन में औसतन 16-18 विमान होते हैं, और रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत को कम से कम 42 स्क्वाड्रन की जरूरत है, ताकि पाकिस्तान और चीन जैसे दो मोर्चों पर एक साथ चुनौती का सामना किया जा सके।
तेजस Mark-1A भारत में डिजाइन और विकसित किया गया एक हल्का, फुर्तीला और अत्याधुनिक फाइटर जेट है। इससे पहले 2021 में HAL को 83 तेजस विमान बनाने का ऑर्डर दिया गया था, जिसकी डिलीवरी अब अक्टूबर 2025 से शुरू होने की उम्मीद है।
HAL अब GE से 113 अतिरिक्त F-404 इंजन खरीदने की तैयारी में है, जिसकी लागत लगभग 1 अरब डॉलर आंकी जा रही है।
हाल ही में पाकिस्तान ने अपने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में चीन निर्मित J-10 विमानों का प्रयोग किया था, जो 200 किलोमीटर से ज्यादा मारक क्षमता वाली PL-15 मिसाइलों से लैस थे। वहीं चीन की वायु शक्ति पहले ही भारत से कई गुना ज्यादा मानी जाती है। ऐसे में तेजस जैसे स्वदेशी विमान भारत को रणनीतिक बढ़त दिला सकते हैं।
रक्षा मोर्चे पर दूसरी बड़ी खबर यह भी है कि सरकार ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान का कार्यकाल 30 मई 2026 तक बढ़ा दिया है। यह विस्तार ऐसे समय पर आया है जब भारत को रणनीतिक नेतृत्व में निरंतरता की आवश्यकता है।
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने हाल ही में कहा था कि, “हमारी युद्धक क्षमता को बनाए रखने के लिए हर साल कम से कम 40 नए लड़ाकू विमानों की जरूरत है।” तेजस डील इसी दिशा में एक सकारात्मक कदम है।