मगर इसके बाद भी सीबीआई ने जांच जारी रखी और पूर्व मुख्यमंत्री हरिश रावत को जांच के लिये 9 अप्रैल 2016 को समन भेजा। लगातार सीबीआई द्वारा भेजे जा रहे समन को हरीश रावत ने हाईकोर्ट चुनौती दी। याचिका में कहा कि राज्य सरकार ने 15 मई 2016 को सीबीआई जांच के आदेश को वापस ले लिया था और एसआईटी का गठन कर दिया गया था। इसलिए सीबीआई को इस मामले की जांच का कोई अधिकार ही नहीं है। सीबीआई की पूरी कार्रवाई को निरस्त किया जाए।