बंगलूरू – देश की रक्षा उत्पादन इकाई हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की रॉकेट निर्माण क्षमता में इजाफा होने वाला है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) प्रमुख एस सोमनाथ ने एचएएल के एयरोस्पेस प्रभाग में अत्याधुनिक प्रोपेलेंट टैंक उत्पादन और कंप्यूटर न्यूमेरिकल कंट्रोल (सीएनसी) मशीनिंग सुविधाओं का उद्घाटन किया।
एचएएल ने कहा कि ये सुविधाएं इसरो की बढ़ती उत्पादन जरूरतों खासतौर से सबसे भारी और सबसे शक्तिशाली रॉकेट लॉन्च व्हीकल मार्क-3 के उत्पादन को पूरा करने में मदद करेंगी। वर्तमान में मौजूदा क्षमता प्रति वर्ष केवल दो एलवीएम-3 प्रक्षेपण की अनुमति देती है, जबकि इसरो की आवश्यकता प्रति वर्ष छह प्रक्षेपणों की है। एचएएल के मुताबिक ये सुविधाएं इस कमी को पूरा करेंगी, जिससे एचएएल प्रति वर्ष छह एलवीएम3 रॉकेटों के उत्पादन के लिए पर्याप्त महत्वपूर्ण घटकों का निर्माण करने में सक्षम होगा। एचएएल के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक (अतिरिक्त प्रभार) सीबी अनंतकृष्णन ने कहा, इसरो के साथ चल रहे गठजोड़ से मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन और अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण वाहनों (एनजीएलवी) के विकास में तेजी आएगी। इसरो के साथ काम करने के महत्वपूर्ण अवसर हैं और एचएएल अंतरिक्ष मिशनों में पूरी क्षमता को अनलॉक करने के लिए प्रतिबद्ध है। वह दिन दूर नहीं जब अंतरिक्ष एचएएल का एक महत्वपूर्ण कार्यक्षेत्र बन जाएगा।इसरो प्रमुख सोमनाथ ने कहा, एचएएल के पास अपार क्षमताएं हैं और दोनों संगठनों के व्यापक हित में इस क्षमता का दोहन किया जाना चाहिए। एचएएल इसरो के भविष्य के मिशनों में बड़ी भूमिका निभाएगा।