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जनसंख्या बढ़ाने की कोशिश में चीन का बड़ा कदम: कंडोम और गर्भनिरोधक साधनों पर लगाया हाई टैक्स

चीन ने दुनिया को चौंकाते हुए कंडोम समेत सभी गर्भनिरोधक उत्पादों पर उच्च कर (VAT) लगाने का फैसला किया है। यह कदम उस दौर में लिया गया है, जब देश जन्मदर में लगातार गिरावट से जूझ रहा है और आबादी तेजी से बूढ़ी हो रही है। नए कानून के तहत 1 जनवरी से गर्भनिरोधक दवाएं और उत्पाद कर-मुक्त श्रेणी से बाहर हो जाएंगे, जिन पर अब अधिकांश वस्तुओं की तरह 13% वैट लगाया जाएगा।

यह वही चीन है, जिसने कभी 35 साल तक एक-बच्चा नीति लागू रखकर जनसंख्या पर कड़ा नियंत्रण किया था। लेकिन भारत से जनसंख्या में पीछे छूटने और जन्मदर रिकॉर्ड स्तर तक गिर जाने के बाद चीन अब उलट दिशा में चल पड़ा है—और चाहता है कि लोग ज्यादा बच्चे पैदा करें।

विशेषज्ञों का मानना है कि चीन का यह फैसला उसके बड़े परिवर्तन का हिस्सा है—

  • पहले आबादी नियंत्रित करने के लिए गर्भनिरोध को बढ़ावा दिया
  • अब जनसंख्या बढ़ाने के लिए गर्भनिरोध को महंगा किया जा रहा है

सरकार उम्मीद कर रही है कि कंडोम और अन्य गर्भनिरोधकों की कीमत बढ़ने से लोग इनका इस्तेमाल कम करेंगे और जन्मदर में सुधार होगा। हालांकि विशेषज्ञ इसे अप्रभावी और जोखिमपूर्ण कदम बता रहे हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि गर्भनिरोधक महंगे होने से—

  • अनचाहे गर्भों में वृद्धि
  • यौन संचारित रोगों (STDs) में तेज़ बढ़ोतरी
    हो सकती है।

चीन में पहले कई गर्भनिरोधक मुफ्त उपलब्ध थे। ऐसे में कीमत बढ़ने से खासकर महिलाएँ नाराज हैं, जो पहले ही परिवार नियोजन के पिछले सख्त नियमों से परेशान रही हैं।

राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार:

  • 2024 में केवल 95 लाख शिशु पैदा हुए
  • 2019 की तुलना में यह लगभग एक-तिहाई कम है
  • मौतें जन्मों से अधिक होने के कारण जनसंख्या घट रही है
  • 2023 में भारत ने चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया था।

चीन ने:

  • 2015 में नीति को एक बच्चे से दो बच्चे किया
  • 2021 में इसे तीन बच्चे करने की अनुमति दे दी
    फिर भी जन्मदर नहीं बढ़ी।

कई महिलाएँ मानती हैं कि सरकार लगातार उनके निजी जीवन में दखल देती रही है।
जियांगशी की एक शिक्षिका ने कहा—
“यह हमारी यौन स्वतंत्रता और शरीर पर नियंत्रण की रणनीति है।”

पहले जबरन गर्भपात, फिर अधिक बच्चे करने की अनुमति, और अब गर्भनिरोधक महंगे करना—इन सभी कदमों ने लोगों में असंतोष बढ़ाया है।

बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के शोध के अनुसार:

  • सिर्फ 9% जोड़े कंडोम का उपयोग करते हैं
  • 44.2% महिलाएँ IUD लगवाती हैं
  • 30.5% महिला नसबंदी,
  • 4.7% पुरुष नसबंदी कराते हैं

अर्थात—चीन में गर्भनिरोध की जिम्मेदारी अधिकतर महिलाओं पर है।

IndexBox की रिपोर्ट के अनुसार:

  • 2020 में चीन में 5.4 अरब कंडोम की खपत हुई
  • और यह आंकड़ा लगातार 11 साल बढ़ता रहा था
  • अब कीमत बढ़ने के बाद उपयोग कम होने की आशंका है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य पर खतरा बढ़ सकता है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के अनुसार:

  • 2014–2021 के बीच हर साल 90–100 लाख गर्भपात

कई विशेषज्ञों का अनुमान है कि असल संख्या और अधिक हो सकती है क्योंकि बहुत लोग अवैध क्लिनिक का सहारा लेते हैं।

साथ ही—

  • 2024 में गोनोरिया के 1 लाख,
  • सिफलिस के 6.7 लाख मामले दर्ज हुए
  • HIV/AIDS के मरीजों की संख्या 14 लाख तक पहुँच चुकी है

ऐसे में कंडोम महंगे करना स्वास्थ्य जोखिमों को और बढ़ा सकता है।

चीन का कंडोम और गर्भनिरोधक उत्पादों पर टैक्स बढ़ाना एक ऐसा कदम है, जिसका लक्ष्य तो जनसंख्या वृद्धि है, लेकिन इसके परिणाम—

  • अनियोजित गर्भ
  • यौन रोग
  • गर्भपात
  • महिलाओं में असंतोष
    जैसे गंभीर रूप ले सकते हैं।

विशेषज्ञ मानते हैं कि 13% टैक्स जन्मदर बढ़ाने में बहुत कम प्रभावी होगा, क्योंकि असली समस्या रहने, शिक्षा, महंगाई और बच्चे पालने की ऊंची लागत है—जो टैक्स बढ़ाने से नहीं बदलने वाली।