हिंदी सिनेमा में कुछ ऐसे कलाकार हुए हैं, जिनका करियर तो छोटा रहा, लेकिन उन्होंने अपने अभिनय और व्यक्तित्व से दर्शकों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी। ऐसी ही कलाकार थीं स्मिता पाटिल, जिनका नाम आज भी सिनेमा प्रेमियों के दिलों में उसी श्रद्धा और आदर के साथ लिया जाता है।
स्मिता पाटिल सिर्फ 31 साल की उम्र में इस दुनिया से विदा हो गईं, लेकिन अपने संक्षिप्त 10 साल के करियर में उन्होंने वह कर दिखाया, जो कई कलाकार सालों में नहीं कर पाते। उन्हें हिंदी सिनेमा की ‘वन टेक क्वीन’ कहा जाता था। उनकी खासियत थी कि वे किसी भी शॉट को एक ही टेक में पूरा कर लेती थीं और कैमरे के सामने हर किरदार को सहज और आत्मविश्वास के साथ निभाती थीं।
स्मिता पाटिल की पहली फिल्म ‘चरणदास चोर’ थी। उन्हें निर्देशन में श्याम बेनेगल ने मौका दिया, और वहीं से उनका करियर शुरू हुआ। उन्होंने अपनी फिल्मी दुनिया में हमेशा सादगी और कम मेकअप को प्राथमिकता दी, जिससे उनके किरदार बड़े पर्दे पर असली लगते थे। उनके उल्लेखनीय किरदारों में ‘भूमिका’ (1977), ‘मंथन’, ‘अर्थ’, ‘मिर्च मसाला’, ‘चक्र’ और ‘आखिर क्यों’ शामिल हैं।
स्मिता ने अपने करियर में राष्ट्रीय पुरस्कार और 1985 में पद्मश्री जैसे सम्मान भी जीते। 1983 में उन्होंने अभिनेता राज बब्बर से शादी की थी। दुर्भाग्यवश, 1986 में उनके बेटे प्रतीक बब्बर के निधन के 15 दिन बाद ही उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
आज भी स्मिता पाटिल की अभिनय प्रतिभा और सादगी हिंदी सिनेमा के लिए एक प्रेरणा हैं, और वे दर्शकों के दिलों में हमेशा जीवित रहेंगी।















