कोलकाता 12 अगस्त। तुलसीदास का साहित्य लोकमंगल और लोकहित का साधक है । तुलसी लोकजीवन में पैठे हैं। उनका साहित्य आत्म दैन्य से जूझते व्यक्ति के लिए संजीवनी का काम करता है – ये उद्गार हैं भारतीय जनसंचार संस्थान के पूर्व महानिदेशक एवं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विवि, भोपाल के पूर्व कुलपति प्रो. संजय द्विवेदी के जो सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय द्वारा आयोजित ‘तुलसी जयंती समारोह’ में बतौर प्रधान वक्ता बोल रहे थें ।
प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि कविता तुलसी को पाकर महान हो गई। उन्होंने तुलसी के मानस को जीवन जीने का सहारा बताया। तुलसी का मानस गिरमिटिया मजदूरों के जीवन संघर्षों में संबल बना। वह उच्चत्तम सनातन मूल्यों की स्थापना करता है। समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने कहा कि तुलसी का रामचरितमानस अपनी 450 वीं जयंती पर भी आचार, विचार और व्यवहार की सीख देता है । यह लोकजीवन की आचार संहिता है । उन्होंने रीतिकालीन कवियों नन्ददास, पद्माकर और बिहारी की कविताओं से तुलना करते हुए मानस को संस्कार की सुंदर पाठशाला कहा ।
समारोह का शुभारम्भ सेठ सूरजमल जालान बालिका विद्यालय की छात्राओं द्वारा प्रस्तुत मंगलाचरण ‘गाइए गणपति जग वंदन’ के समूह गायन से हुआ। छात्राओं ने प्रभु श्रीराम की स्तुति हरिगीतिका छंद में ‘श्री रामचंद्र कृपालु भजमन’ और सोहर छंद में ‘आज अवधपुर आनंद नहछू’ पदों की सांगीतिक प्रस्तुति कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। अतिथियों का स्वागत प्रो. राजश्री शुक्ला, भरत कुमार जालान, महावीर बजाज, सागरमल गुप्त, अरुण मल्लावत, विश्वभर नेवर एवं अनुराधा जालान ने किया। स्वागत भाषण दिया पुस्तकालय की मंत्री श्रीमती दुर्गा व्यास ने। समारोह का कुशल संचालन किया डॉ. कमल कुमार ने तथा पुस्तकालय के अध्यक्ष भरत कुमार जालान ने धन्यवाद ज्ञापित किया।