इजरायल ने एक बड़ा कदम उठाते हुए कनाडा के संसदीय प्रतिनिधिमंडल को कब्जे वाले वेस्ट बैंक में प्रवेश करने से रोक दिया है। इस डेलिगेशन में कनाडा की संसद के छह सदस्य शामिल थे। इजरायल का कहना है कि वह ऐसे संगठनों और व्यक्तियों को अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में प्रवेश की अनुमति नहीं देगा, जिनके संबंध कथित तौर पर आतंकी संगठनों से जुड़े हों।
कनाडा स्थित इजरायली दूतावास ने बयान जारी कर कहा कि इस प्रतिनिधिमंडल को इसलिए रोका गया क्योंकि इसके संबंध इस्लामिक रिलीफ वर्ल्डवाइड से पाए गए, जिसे इजरायल एक आतंकी संगठन मानता है। वहीं, कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि कनाडा ने इस व्यवहार को लेकर इजरायल के समक्ष अपनी आपत्तियां दर्ज कराई हैं।
ओंटारियो से लिबरल पार्टी की सांसद इकरा खालिद ने आरोप लगाया कि इजरायली सीमा अधिकारियों ने उनके साथ धक्का-मुक्की की। उन्होंने बताया कि वह लगभग 30 लोगों के प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थीं और जब वह एक सदस्य को देखने की कोशिश कर रही थीं, जिसे एलनबी सीमा पार करने के बाद अतिरिक्त पूछताछ के लिए अलग ले जाया गया था, तभी उन्हें कई बार धक्का दिया गया।
खालिद ने कहा कि सीमा अधिकारियों को पता था कि वह सांसद हैं, क्योंकि उनके पास विशेष राजनयिक पासपोर्ट था, जो सामान्य कनाडाई दस्तावेजों से अलग होता है।
इजरायली दूतावास ने अपने बयान में कहा कि द कनाडाई-मुस्लिम वोट नामक संगठन, जिसने इस प्रतिनिधिमंडल को प्रायोजित किया था, को अपनी फंडिंग का बड़ा हिस्सा इस्लामिक रिलीफ कनाडा से मिलता है। यह संस्था इस्लामिक रिलीफ वर्ल्डवाइड से जुड़ी है, जिसे इजरायल ने आतंकी संगठन के रूप में सूचीबद्ध किया है। इसी आधार पर डेलिगेशन को प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई।
प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य वेस्ट बैंक में विस्थापित फिलिस्तीनियों से मुलाकात करना था। इसी क्षेत्र में हाल ही में इजरायली सरकार ने यहूदी बस्तियों में 764 नए घरों के निर्माण को मंजूरी दी है।
ओटावा में नेशनल काउंसिल ऑफ कनाडाई मुस्लिम्स ने इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि कनाडाई सांसदों को प्रवेश से रोकना इजरायली सरकार की पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
ब्रिटिश कोलंबिया से न्यू डेमोक्रेट सांसद जेनी क्वान ने कहा कि पूरे प्रतिनिधिमंडल के पास वेस्ट बैंक में प्रवेश के लिए वैध इलेक्ट्रॉनिक यात्रा प्राधिकरण थे, लेकिन यात्रा के दिन ही उन्हें रद्द कर दिया गया।
गौरतलब है कि सितंबर में कनाडा ने कई अन्य देशों के साथ मिलकर फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता दी थी। यह कनाडा की नीति में एक अहम बदलाव माना गया था, जिसे अमेरिका के विरोध के बावजूद लागू किया गया। उस समय कनाडा ने कहा था कि इस कदम से मध्य-पूर्व में शांति की दिशा में रास्ता खुलने की उम्मीद है।















