वॉशिंगटन:
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) का व्हाइट हाउस में गर्मजोशी से स्वागत किया। यह लगभग 7 साल बाद क्राउन प्रिंस का पहला व्हाइट हाउस दौरा था। इस मुलाकात में दोनों देशों के बीच अरबों डॉलर के निवेश, हथियार सौदों और अब्राहम समझौते को आगे बढ़ाने पर विशेष जोर दिया गया।
ओवल ऑफिस में मीडिया से बातचीत के दौरान ट्रंप ने 2018 में पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या से जुड़ी उस अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट को पूरी तरह खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि क्राउन प्रिंस को इस हत्या की जानकारी थी।
ट्रंप ने कहा—
“खशोगी बहुत विवादास्पद व्यक्ति थे… ऐसी घटनाएं हो जाती हैं। क्राउन प्रिंस को इसकी कोई जानकारी नहीं थी। हमें अपने मेहमान को शर्मिंदा करने की जरूरत नहीं है।”
गौरतलब है कि 2021 में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने एक रिपोर्ट जारी कर कहा था कि खशोगी की हत्या में क्राउन प्रिंस की भूमिका “बहुत संभव” है। ट्रंप प्रशासन ने अपने पहले कार्यकाल में इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया था।
क्राउन प्रिंस सलमान ने कहा कि सऊदी अरब ने “जांच के लिए सभी सही कदम उठाए” और यह घटना “बहुत दर्दनाक और बड़ी गलती” थी।
ट्रंप ने सऊदी अरब की मानवाधिकार स्थिति की भी तारीफ की और बिना कोई उदाहरण दिए कहा कि देश ने “मानवाधिकार और बाकी हर मामले में अद्भुत काम किया है।”
मुलाकात के दौरान क्राउन प्रिंस ने घोषणा की कि सऊदी अरब अब अमेरिका में 1 ट्रिलियन डॉलर (लगभग 84 लाख करोड़ रुपये) का निवेश करेगा। यह पहले की घोषित राशि 600 अरब डॉलर से काफी अधिक है।
ट्रंप ने कहा कि अमेरिका और सऊदी अरब अब “बेहतरीन दोस्त” बन गए हैं और MBS आने वाले दशकों में “मध्य पूर्व को आकार देने वाले प्रमुख नेता” होंगे।
सऊदी अरब और ट्रंप परिवार के व्यापारिक संबंध लंबे समय से चर्चा में रहे हैं। हाल ही में लंदन स्थित कंपनी डार ग्लोबल ने जेद्दा में ‘ट्रंप प्लाज़ा’ बनाने की घोषणा की। यह सऊदी अरब में ट्रंप ऑर्गनाइजेशन का दूसरा प्रोजेक्ट होगा।
ट्रंप ने सफाई देते हुए कहा—
“मेरा परिवार के कारोबार से कोई लेना-देना नहीं है।”
खशोगी द्वारा स्थापित संगठन DAWN के निदेशक रईद जर्रार ने ट्रंप की तीखी आलोचना करते हुए कहा—
“राष्ट्रपति ट्रंप के हाथों पर जमाल खशोगी का खून लगा है। वे MBS के हर फांसी और कैद आदेश में सह-अपराधी बन गए हैं।”
मानवाधिकार संगठनों ने आरोप लगाया कि सऊदी अरब में—
- असहमति दबाने के लिए पत्रकारों और कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी बढ़ी है,
- आलोचकों पर कार्रवाई तेज हुई है,
- फांसी की संख्या में तेजी आई है।











