Advertisement

अबू धाबी एयरपोर्ट पर उतरी ‘शाही बटालियन’: 15 रानियां, 30 बच्चे और 100 नौकर लेकर आए राजा मस्वाती!

अगर आप सोचते हैं कि बॉलीवुड सेलेब्रिटी का एयरपोर्ट लुक सबसे चर्चित होता है, तो ज़रा अफ्रीकी देश इस्वातिनी के राजा मस्वाती तृतीय को देख लीजिए।
राजा साहब हाल ही में अपने निजी जेट से यूएई दौरे पर अबू धाबी पहुंचे, लेकिन अकेले नहीं!
साथ में थी उनकी 15 रानियों की रॉयल परेड, 30 शाही बच्चे, और पूरे 100 नौकर-चाकरों की ‘फौज’।

एयरपोर्ट पर जैसे ही यह शाही कारवां उतरा, वहां मौजूद स्टाफ और यात्रियों की आंखें खुली की खुली रह गईं। सुरक्षा अफसरों को एक पल के लिए समझ नहीं आया कि यह कोई राजनयिक दौरा है या कोई शाही शादी की बारात!

शाही काफिले की एंट्री के बाद हालात ऐसे हो गए कि एयरपोर्ट प्रशासन को तीन टर्मिनल बंद करने पड़े। वजह? इतने सारे लोगों को संभालने के लिए एयर ट्रैफिक नहीं, फुट ट्रैफिक की चिंता ज्यादा थी।

किंग मस्वाती और उनका पूरा काफिला अलग-अलग पारंपरिक पोशाकों में थे, जो आमतौर पर डिज़ाइनर फैशन शो में भी नहीं दिखते। किंग की ‘एंट्री’ ने यूएई की गर्मी को भी कुछ देर के लिए ठंडा कर दिया।

राजा मस्वाती तृतीय 1986 से इस्वातिनी पर राज कर रहे हैं। उनकी अनुमानित संपत्ति 1 अरब डॉलर से ज्यादा है। उनके पास लग्ज़री कारों का काफिला, अनेक महल, और एक निजी जेट है। हर साल वह पारंपरिक रीड डांस में अपनी अगली रानी चुनते हैं। अब तक 15 रानियों से शादी, और बच्चों की गिनती… अब गिनना छोड़ ही दिया गया है।

लेकिन दूसरी तरफ, उनका देश इस्वातिनी भारी गरीबी से जूझ रहा है, एड्स संक्रमण दर दुनिया में सबसे ज़्यादा है, और कुल जनसंख्या केवल 11 लाख है। राजा का रहन-सहन देख कर लोग पूछ रहे हैं: “देश छोटा है या राजा का परिवार बड़ा?”

यूएई दौरे का उद्देश्य था — आर्थिक समझौतों पर बातचीत। लेकिन मीडिया और सोशल मीडिया पर चर्चा केवल एक ही चीज़ की हो रही है — राजा मस्वाती की रॉयल लाइफस्टाइल।

शायद समझौते हो भी गए हों, लेकिन फोटो और वीडियो में तो केवल शाही पोशाक, चमचमाते गहने और VIP मूवमेंट ही छाए रहे।

राजा मस्वाती, दक्षिण अफ्रीका के जुलु राजा मिसुजुलु के मामा हैं।

उनकी एक रानी, दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा की बेटी हैं।

जब राजा का परिवार यात्रा करता है, तो राजनयिक पासपोर्ट से ज्यादा लगते हैं एयरबस A380 जैसे विमान की जरूरत।

किंग मस्वाती के अबू धाबी आगमन ने एक बार फिर दिखा दिया कि शाही अंदाज़ और सार्वजनिक जीवन में फासला कितना बड़ा हो सकता है।
जहां देश की आम जनता दो वक़्त की रोटी के लिए संघर्ष कर रही है, वहीं राजा साहब शाही ठाठ से इंटरनेशनल दौरे कर रहे हैं।