नैनीताल। हाईकोर्ट ने बीते दिन कई जजों के तबादले किए हैं। सहदेव सिंह पीठासीन अधिकारी खाद्य सुरक्षा अपीलीय न्यायाधिकरण देहरादून को जिला एवं सत्र न्यायाधीश रुद्रप्रयाग के पद पर स्थानांतरित किया गया है। वह एसएमडी दानिश के स्थान पर नियुक्त किए जाएंगे। जिला एवं सत्र न्यायाधीश चमोली धर्म सिंह को रजिस्ट्रार (सतर्कता), पंकज उत्तराखंड उच्च न्यायालय, नैनीताल के रिक्त पद स्थानांतरित किया गया है। न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय हल्द्वानी जिला नैनीताल अभिषेक बिन्ध्याचल सिंह को धरम सिंह के स्थान पर जिला बोर्ड एवं सत्र न्यायाधीश चमोली के पद पर स्थानांतरित किया गया है।
मनोज गर्वयाल रजिस्ट्रार (न्यायिक) उत्तराखंड उच्च न्यायालय नैनीताल को स्थानांतरित कर रितेश कुमार श्रीवास्तव के स्थान पर अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश काशीपुर के पद पर तैनात किया गया है।
महेश चन्द्र कौशिव को अपने वर्तमान कर्तव्यों के अतिरिक्त देहरादून में उत्तर प्रदेश गैंगस्टर एवं असामाजिक क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम 1986 की धारा 5(1) के तहत गठित विशेष न्यायालय का पूर्व में सौंपा गया कार्यभार जारी रखने का निर्देश दिए गए हैं। रितेश कुमार श्रीवास्तव प्रथम अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश काशीपुर को स्थानांतरित कर मनोज गबर्याल के स्थान पर रजिस्ट्रार (न्यायिक), उत्तराखंड उच्च न्यायालय, नैनीताल के पद पर तैनात किया गया है।
धर्मेन्द्र सिंह अधिकारी को अपने वर्तमान कार्यभार के अतिरिक्त संपूर्ण उत्तराखंड के लिए भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम (सीबीआई) तथा सचिव लोकायुक्त उत्तराखंड देहरादून का कार्यभार जारी रखने का निर्देश दिया गया है। मदन राम चतुर्थ अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश देहरादून को तृतीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पद पर तैनात किया गया है।
छह जिलों में शुरू होंगे परिवार न्यायालय
5 जुलाई को जारी अधिसूचना के मुताबिक हाईकोर्ट ने राज्य के छह जिलों में परिवार न्यायालय शुरू करने के आदेश दिए हैं। कई अन्य परिवार न्यायालयों को अपग्रेड कर इन न्यायालयों में उच्च न्यायिक सेवा के जज नियुक्त किए जा रहे हैं। शनिवार को कई न्यायिक अधिकारियों के स्थानांतरण आदेश भी जारी किए हैं। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर रजिस्ट्रार जनरल की ओर से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक 6 जिलों में परिवार न्यायालय शुरू करने और इन जिलों में बागेश्वर, चमोली, चंपावत, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी के जिला न्यायाधीशों से अपने मूल कार्यभार के अलावा इन पारिवारिक न्यायालयों के पीठासीन अधिकारी के रूप में कार्य करने को कहा गया है।