विदेश मंत्री एस. जयशंकर का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका के साथ साझेदारी को बेहद महत्व देते हैं।
इधर, ट्रंप ने मोदी को “ग्रेट प्राइम मिनिस्टर” बताते हुए व्यक्तिगत रिश्तों पर ज़ोर दिया, लेकिन रूस से कच्चे तेल की ख़रीद को लेकर निराशा भी जताई। उन्होंने कहा— “मैं हमेशा मोदी का दोस्त रहूंगा। वह एक ग्रेट प्राइम मिनिस्टर हैं। मुझे निराशा है कि भारत रूसी तेल ख़रीद रहा है और मैंने इस पर 50 प्रतिशत टैरिफ़ लगाकर संदेश दिया है।”
सामरिक मामलों के विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी का कहना है कि ट्रंप की विदेश नीति की यही ख़ासियत है— एक ही समय में विरोधाभासी बयान देना। एक्स पर लिखते हुए उन्होंने कहा— “ट्रंप का अचानक बदलता रुख़— कभी भारत को ‘गहरे, अंधेरे चीन’ की तरफ़ जाता बताना और कभी अमेरिका-भारत संबंधों को ‘बहुत खास’ कहना— उनकी लेन-देन वाली सोच को दर्शाता है। ऐसे बयान उन्हें घरेलू राजनीति में मज़बूत दिखाते हैं और सहयोगी देशों से रिश्ते बनाए रखने का अवसर भी देते हैं।”
चेलानी के अनुसार, “यह विरोधाभास ग़लती नहीं बल्कि ट्रंप की राजनीति का हिस्सा है। वह अक्सर सख़्त बयान देकर दबाव बनाते हैं और अगले ही दिन बिना सफ़ाई दिए नरम रुख़ दिखा देते हैं। इस मामले में भी शुरुआती बयान दबाव बनाने के लिए था, जबकि बाद का भरोसा जताने वाला बयान रिश्ते संभालने के लिए।”