पंजाब में 37 साल बाद आई सबसे भीषण बाढ़ ने राज्य को तहस-नहस कर दिया है। 1 अगस्त से शुरू हुई लगातार बारिश और बाढ़ के चलते अब तक 30 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 3.5 लाख से अधिक लोग बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। पंजाब के सभी 23 जिलों को बाढ़ प्रभावित घोषित कर दिया गया है, जिनमें 1,400 से ज्यादा गांव भी शामिल हैं।
सबसे ज्यादा नुकसान पठानकोट जिले में हुआ, जहां छह लोगों की मौत हुई। राहत एवं बचाव कार्यों के तहत लगभग 20,000 लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है। पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया और मुख्यमंत्री भगवंत मान ने प्रभावित इलाकों का दौरा कर राहत कार्यों का जायजा लिया।
राज्य सरकार और अधिकारियों ने प्रभावितों के लिए त्वरित मदद का आश्वासन दिया है। पंजाब के आईपीएस अधिकारियों ने मुख्यमंत्री राहत कोष में एक दिन का वेतन दान करने का संकल्प लिया है, जो राहत एवं पुनर्वास कार्यों में सहायता करेगा।
पड़ोसी हरियाणा सरकार ने भी राहत कार्यों में सहयोग करते हुए पंजाब और जम्मू-कश्मीर के लिए 5-5 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता जारी की है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार से राहत मानदंडों में वृद्धि करने की मांग की है ताकि प्रभावित परिवारों को बेहतर सहायता मिल सके।
भारी बारिश और बाढ़ के कारण पंजाब की जनता को भयंकर संकट का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन सरकार एवं स्थानीय प्रशासन हर संभव मदद के लिए जुटे हुए हैं।