जिलाधिकारी डा.आशीष चौहान ने किया ऐतिहासिक स्थल देवलगढ़ का स्थलीय निरीक्षण

पौड़ी 

जिलाधिकारी गढ़वाल डॉ. आशीष चौहान द्वारा आज जनपद पौड़ी में स्थित ऐतिहासिक स्थल देवलगढ़ का स्थलीय निरीक्षण किया गया, साथ ही देवलगढ़ को देवलगढ़ केव्स (गुफाएं) के नाम से विकसित करने का संकल्प लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि देवलगढ़ को देवालगढ़ केव्स के नाम से विकसित किया जाएगा, इस हेतु उन्होंने वन विभाग, पर्यटन विभाग, संस्कृति विभाग और अन्य संबंधित विभागों को आपसी समन्वय से कार्ययोजना तैयार करने को कहा।

इस दौरान जिलाधिकारी ने पंवार वंश की कुलदेवी राजराजेश्वरी देवी और मां दुर्गा के प्राचीन मंदिर , पंवार वंश के राजाओं के निवास तथा देवलगढ़ की ऐतिहासिक गुफाओं का भी अवलोकन किया। उन्होंने राजा के महल के नीचे बनी गुफाओं(मानव निर्मित सुरंगों) में उतरकर उसका अवलोकन भी किया। गौरतलब हो कि देवलगढ़ में जिस टीले/पहाड़ी पर राजा का महल बन है, उस पहाड़ी के एक भाग में अनेकों गुफाएं(मानव निर्मित) बनी है, जिन्हें के तरह से उपयोग में लाया जाता रहा होगा।

देवलगढ़ श्रीनगर के मुख्य शहर के पास एक खूबसूरत शहर है। एक ऐतिहासिक स्थल, यह राज्य के कम खोजे गए रत्नों में से एक है। पूर्ववर्ती गढ़वाल साम्राज्य की राजधानी, इस शांत हिल-स्टेशन में कई प्राचीन मंदिर हैं और यह हरे-भरे हरियाली और शानदार सूर्योदय और सूर्यास्त के मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। यह शहर माँ राज राजेश्वरी देवी मंदिर के लिए सबसे प्रसिद्ध है, और देवलगढ़ मंदिर समूह के एक भाग के रूप में, यह एक एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) संरक्षित स्मारक है। लक्ष्मी नारायण मंदिर और गौरी देवी मंदिर यहाँ के अन्य आकर्षण हैं।

ऐसा कहा जाता है कि इस शहर का नाम कांगड़ा के पूर्व शासक राजा देवल के नाम पर रखा गया था, जिन्होंने 1512 में पौड़ी जिले में एक शहर बसाया था। हालाँकि , देवलगढ़ ने अपनी महिमा तब हासिल की जब गढ़वाल साम्राज्य के राजा अजय पाल ने इस शहर को अपनी राजधानी बनाया।

मौके पर जिला पर्यटन अधिकारी प्रकाश खत्री, SDRF की टीम, पुरातत्व विभाग पौड़ी की टीम में प्रेमचंद ध्यानी, अनिल नेगी,  दिलीप सिंह ,  विनीत गिरी,  संजय नेगी, व रविंद्र नेगी द्वारा जिलाधिकारी गढ़वाल की उपस्थिति में देवलगढ़ का स्तरीय निरीक्षण किया गया।