जंक फूड की बढ़ती खपत से हो रही स्वास्थ्य समस्याएं, शिक्षा पर खर्च घटने से बढ़ी चिंता

हाल की रिपोर्ट में पता चला है कि भारतीय परिवार अब शिक्षा की तुलना में जंक फूड पर अधिक खर्च कर रहे हैं। शहरों में घर के बजट का लगभग 11% हिस्सा पैकेज्ड और जंक फूड पर खर्च हो रहा है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा करीब 10% तक पहुंच चुका है। चिप्स, जूस और सॉफ्ट ड्रिंक जैसी अनहेल्दी चीजों की खपत दूध, दही, सब्जियों और अनाज की तुलना में तेजी से बढ़ रही है।

यूनिसेफ की चेतावनी के अनुसार, अब स्कूलों में मोटे बच्चों की संख्या कम वजन वाले बच्चों से अधिक हो गई है, जो गंभीर स्वास्थ्य जोखिम का संकेत है। मोटापा न केवल शारीरिक रूप से हानिकारक है, बल्कि यह कई तरह की बीमारियों का कारण भी बन रहा है।

स्वामी रामदेव ने इस संकट को टालने के लिए पारंपरिक और सत्विक भोजन अपनाने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि अनाज, फल, और हरी सब्जियां शरीर को ऊर्जा और रोगप्रतिरोधक क्षमता प्रदान करती हैं। कैल्शियम और आयरन की कमी से शरीर में कमजोरी, थकान, और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसके साथ ही, थायराइड से पीड़ित लोगों के लिए रोजाना कपालभाति और सिंहासन करना लाभकारी होता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को बासी खाना नहीं खिलाना चाहिए, और उन्हें संतुलित आहार के साथ-साथ मानसिक तनाव से भी बचाना जरूरी है। सुबह गिलोय-एलोवेरा जूस पीना, नियमित वॉक और योग करना भी स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।

इस रिपोर्ट ने सभी परिवारों को चेताया है कि वे अपने खानपान और खर्चों की प्राथमिकता बदलें और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाएं, ताकि आने वाले समय में गंभीर बीमारियों से बचा जा सके।