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मौसम के मिजाज में नरमी आने के साथ ही गंगा घाटी में राफ्टिंग गतिविधियां जोर पकड़ने लगी

मौसम के मिजाज में नरमी आने के साथ ही गंगा घाटी में राफ्टिंग गतिविधियां जोर पकड़ने लगी

मौसम के मिजाज में नरमी आने के साथ ही गंगा घाटी में राफ्टिंग गतिविधियां फिर से जोर पकड़ने लगी हैं। करीब तीन माह तक राफ्टिंग न होने से वीरान रही गंगा घाटी में पर्यटकों के रूप में बहार लौटने लगी है। इससे पर्यटन व्यवसायियों के चेहरे भी खिल उठे हैं। गंगा का कौड़ियाला-मुनिकीरेती ईको टूरिज्म जोन रिवर राफ्टिंग व साहसिक पर्यटन के लिए खास पहचान रखता है। हर साल राफ्टिंग के लिए यहां बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। अगस्त-सितंबर में मानसून काल होने से गंगा में राफ्टिंग बंद रहती है। नवंबर, से जनवरी तक राफ्टिंग खुली तो रहती है, मगर गंगा का पानी अत्याधिक ठंडा होने के कारण पर्यटक राफ्टिंग के लिए नहीं पहुंचते।

ऐसे में तापमान बढऩे के बाद फरवरी में ही राफ्टिंग गतिविधियां सुचारु हो पाती हैं। इस वर्ष जनवरी में बारिश व बर्फबारी के चलते पूरा महीना ही सर्द रहा। लेकिन, फरवरी में अच्छी धूप खिलने से धीरे-धीरे पारा भी चढ़ने लगा है। इससे राफ्टिंग की गतिविधियां भी जोर पकड़ने लगी हैं। जनवरी में जहां तीर्थनगरी का पारा दस डिग्री सेल्सियस तक लुढ़क गया था, वहीं अब 20 डिग्री से ऊपर है। आने वाले दिनों में इसके 25 डिग्री से भी ऊपर पहुंचने के आसार हैं। इसलिए पर्यटकों का रुझान भी अब राफ्टिंग की ओर बढ़ने लगा है।

बीते कुछ दिनों से गंगा में बड़ी संख्या में राफ्ट उतर रही हैं। पिछले तीन महीने जहां ठंड के चलते गंगा घाटी में वीरानी थी, वहीं अब रंग-बिरंगी राफ्ट घाटी की खूबसूरती को निखार रही हैं। साथ ही पर्यटकों की संख्या भी बढ़ने  लगी है। राफ्टिंग व्यवसायी (मुनिकीरेती) भीम सिंह चौहान का कहना है कि फरवरी मध्य से मौसम काफी हद तक राफ्टिंग के अनुकूल हो जाएगा। इसके बाद पर्यटकों की संख्या में खासी वृद्धि होने की उम्मीद है। सबसे अधिक पर्यटक राफ्टिंग का लुत्फ उठाने ही तीर्थनगरी ऋषिकेश पहुंचते हैं। मार्च में पारा 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक पहुंच जाता है, जिससे राफ्टिंग के प्रति लोगों का क्रेज कुछ अधिक ही बढ़ जाता है। अप्रैल से जुलाई के बीच सर्वाधिक पर्यटक राफ्टिंग के लिए पहुंचते हैं। इस दौरान एडवांस बुकिंग के आधार पर ही लोगों को राफ्टिंग का मौका मिल पाता है।

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