हिंदी को राष्ट्रभाषा और संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा बनाये जाने के लिए आज हरिद्वार के ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज सभागार में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में देश-विदेश के कई हिंदी भाषा के विद्वान जुटेंगे।
सम्मेलन में देश-विदेश के अनेक साहित्यकार, शिक्षाविद एवं हिंदी के विद्वान भाग लेंगे। विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर वैश्विक हिन्दी परिवार व हिमालयीय विश्वविद्यालय देहरादून, हिमालय विरासत ट्रस्ट और एसएमजेएन पीजी कॉलेज हरिद्वार के संयुक्त तत्वावधान में यह सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।
यह जानकारी देते हुए पूर्व सीएम डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 343 में व्यवस्था की गई थी कि दस साल के बाद हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया जाएगा। यह अवधि अधिकतम 15 साल रखी गयी। लेकिन आजादी के 70 साल बीत जाने केबाद भी हम लोग गुलामी के चिह्न को बोझ बनकर ढो रहे हैं। अभी तक राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिलने पर संविधान का भी उल्लंघन हुआ है।
देहरादून में आयोजित पत्रकार वार्ता में डॉ निशंक ने कहा कि इजरायल बाद में आजाद हुआ। और तीन साल के अंदर हिब्रू भाषा को राजभाषा का दर्जा दे दिया गया। इजरायल ने आजादी मिलने के बाद एक दिन भी गुलामी के चिह्न को नहीं ढोया। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के गाने में हिंदी का प्रयोग किया। गांधी जी ने भी हिंदी की जोरदार वकालत की थी। और वर्धा सम्मेलन में कहा था कि हिंदी देश की आत्मा बन कर काम करेगी।
डॉ निशंक ने कहा कि 10 जनवरी 1975 को राष्ट्रभाषा समिति ने पहला विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित किया। इसके बाद लगातार विश्व हिंदी सम्मेलन लगातार हो रहे हैं। लेकिन देश में हिंदी को उसका स्थान नहीं मिला। डॉ निशंक ने कहा कि मॉरीशस में हिंदी का सचिवालय है। फिजी की राजभाषा हिंदी है। इन देशों में हिंदी केविकास के लिए ठोस प्रयास किये गए। उन्होंने कहा कि विश्व में 200 करोड़ लोग हिंदी जानते हैं। अब समय आ गया कि हिंदी को लेकर काम कर रहे मीडिया संस्थान व अन्य सेक्टर आगे आएं। और राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने के लिए आगे आएं।
उन्होंने कहा कि हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा मिलने पर 20 करोड़ को नौकरी मिलेगी। सभी बड़े देशी-विदेशी संस्थान हिंदीभाषी व्यक्तियों को नौकरी देंगे। उन्होंने कहा कि मैकाले ने देश में अंग्रेजी का प्रचार कर भारतीय संस्कृति पर हमला भी किया। ऐसे में अब गंगा के तट पर हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा देने का संकल्प लिया जाएगा।
हरिद्वार में संकल्प लेने के बाद ऋषिकुल से हर की पैड़ी तक संकल्प यात्रा आयोजित की जाएगी। गंगा आरती के बाद हर की पैड़ी पर हिंदी को राष्ट्रभाषा और संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा बनाई जाने हेतु संकल्प लिया जाएगा। सम्मेलन के दूसरे दिन के कार्यक्रम हिमालयीय विश्वविद्यालय, जीवनवाला, देहरादून और लेखक गांव, थानो (देहरादून) में आयोजित किए जाएंगे।