चंडीगढ़, 13 अक्टूबर:
हरियाणा सरकार ने पराली जलाने से उत्पन्न वायु प्रदूषण को रोकने के लिए इस बार कड़ा रुख अपनाया है। धान की कटाई शुरू होते ही पराली जलाने की घटनाएं सामने आने लगी हैं, जिससे राजधानी दिल्ली सहित पूरे उत्तर भारत में वायु गुणवत्ता गिरने की आशंका है। इसे देखते हुए सरकार ने पराली न जलाने वाले किसानों को ₹1200 प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की है, जबकि पराली जलाने पर ₹5000 से लेकर ₹30,000 तक जुर्माना लगाया जाएगा।
राज्य के कृषि विभाग ने सभी जिलों को निर्देश दिए हैं कि पराली जलाने वालों की पहचान कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए और उनका नाम “मेरी फसल मेरा ब्यौरा” पोर्टल पर दो वर्ष के लिए लाल निशान (रेड मार्क) से चिन्हित किया जाए। इससे ऐसे किसान दो साल तक एमएसपी पर फसल नहीं बेच पाएंगे।
सरकार के अनुसार, गांवों में टीम भेजकर किसानों को पराली प्रबंधन के वैकल्पिक तरीके जैसे मल्चर, हैप्पी सीडर मशीन आदि की जानकारी दी जा रही है। साथ ही सेटेलाइट और ड्रोन की मदद से खेतों में हो रही गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।
यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद लिया गया है जिसमें हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश सरकारों को पराली से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने को कहा गया था। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि प्रदूषण केवल राजधानी का नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र का स्वास्थ्य संकट बन चुका है।
हरियाणा सरकार की यह नीति दोहरा उद्देश्य रखती है — एक ओर पराली न जलाने पर आर्थिक प्रोत्साहन, और दूसरी ओर जलाने पर कड़ा दंड। सरकार को उम्मीद है कि इससे किसान जिम्मेदारी से काम लेंगे और आने वाले समय में वायु प्रदूषण की गंभीरता में कमी आएगी।