भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों से चल रहा पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) विवाद अब एक नए मोड़ पर पहुंचता दिख रहा है। सवाल यह है: क्या भारत कोई बड़ा कदम उठाने वाला है?
राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान के किसी भी दुस्साहस का जवाब ऐसा होगा कि “इतिहास और भूगोल बदल जाएगा”।
जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि ऑपरेशन 2.0 में संयम नहीं रहेगा।
विदेश मंत्री ने फिर से कहा: “पीओजेके हमारा है।”
गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा को लेकर गहन बैठक की।
इन सब बयानों को एक फ्रेम में रखें, तो यह स्पष्ट है — भारत कोई रणनीतिक खेल खेलने की स्थिति में है।
पीओजेके, यानी लगभग 13,000 वर्ग किमी का एक भूभाग, जिसमें करीब 30 लाख से अधिक लोग रहते हैं। यह क्षेत्र सिर्फ भारत का संवैधानिक हिस्सा नहीं है, बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण है।
यहां से:
- पश्चिम में पाकिस्तान का पंजाब और खैबर-पख्तूनख्वा,
- उत्तर में अफगानिस्तान,
- और उत्तर-पूर्व में चीन का शिंजियांग इलाका लगता है।
यही कारण है कि चीन ने यहां CPEC, हाइड्रो प्रोजेक्ट्स और रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर में अरबों डॉलर का निवेश किया है।
यानि पीओजेके में भारत का कोई भी सैन्य कदम सिर्फ पाकिस्तान से नहीं, बल्कि चीन से भी टकराव को जन्म दे सकता है।
डिफेंस एक्सपर्ट लेफ्टिनेंट कर्नल (रि.) जेएस सोढ़ी कहते हैं:
“अगर पीओजेके में लड़ाई होती है तो वह मैदान की नहीं, पहाड़ों की होगी — जहां 9:1 अटैकर-डिफेंडर अनुपात लगता है। यानी एक दुश्मन को हराने के लिए नौ सैनिक लगते हैं।”
कारगिल युद्ध इसका उदाहरण है — पाकिस्तानी घुसपैठिए मुट्ठीभर थे, लेकिन उन्हें हटाने में भारत को हज़ारों जवान लगाने पड़े। और इस बार दुश्मन सिर्फ पाकिस्तान नहीं होगा, चीन की मौजूदगी रणनीति को और जटिल बना देती है।
सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं:
🗨️ “ये महज़ भाषण नहीं — सरकार किसी बड़े ऑपरेशन की दिशा में बढ़ रही है।”
🗨️ “हर स्तर पर एक जैसे बयान — यह संयोग नहीं, योजना है।”
कुछ एक्स यूज़र्स ने यहां तक लिखा कि “कराची अब दूर नहीं”, तो कुछ ने “सर क्रीक से POK तक” का नया नैरेटिव गढ़ना शुरू कर दिया है।
पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल नरवणे का कहना है —
“आज के दौर में टू-फ्रंट वॉर कोई नहीं जीत पाया है। रणनीति और कूटनीति को साथ लेकर चलना होगा।”
रूस-यूक्रेन युद्ध 2 साल में भी नहीं सुलझा।
इज़रायल-गाज़ा संघर्ष महीनों से जारी है।
ऐसे में पीओके में सैन्य कार्रवाई कोई Quick Fix नहीं होगी — यह एक दीर्घकालिक और बहु-आयामी ऑपरेशन होगा।
विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत पहले कूटनीतिक दबाव, आंतरिक असंतोष और अंतर्राष्ट्रीय समर्थन से पीओजेके में अस्थिरता लाने की कोशिश कर सकता है।
सेना की ओर से ‘ऑपरेशन 2.0’ जैसे शब्दों का उपयोग यह बताता है कि भारत पहले की तुलना में कई गुना तेज़, आक्रामक और ठोस रणनीति पर काम कर रहा है।
भारत ने 370 हटाकर दिखाया कि वह अब “Status Quo” नीति पर नहीं टिका है।
आज जो हो रहा है, वह सिर्फ ‘बयानबाज़ी’ नहीं — वह एक धीरे-धीरे बढ़ती आंधी की दस्तक है, जो कब तूफान बन जाए, कोई नहीं जानता।