उत्तराखंड ने बीते चार महीनों में एक बार फिर प्रकृति के विकराल प्रकोप का सामना किया है। धराली से लेकर देहरादून, टिहरी, चमोली, पिथौरागढ़, पौड़ी और हरिद्वार तक, कहीं बादल फटे, तो कहीं भूस्खलन ने गांवों की रफ्तार रोक दी। लेकिन इस बार तस्वीर कुछ अलग थी — अकाल की घड़ी में अव्यवस्था नहीं, बल्कि सुव्यवस्था दिखी। इसका श्रेय जाता है उस प्रणाली को, जिसे अब लोग ‘धामी मॉडल’ कहने लगे हैं।
2013 की यादें और 2023 की तैयारी
उत्तराखंड में हर बड़ी आपदा 2013 की केदारनाथ त्रासदी की छाया में देखी जाती है। लेकिन इस बार, संकट के क्षणों में सरकार की पूर्व तैयारी, फील्ड में नेतृत्व और तत्काल प्रतिक्रिया ने हालात को नियंत्रण में रखा। जान-माल की हानि अपेक्षा से कम रही, और राहत कार्य अभूतपूर्व तेजी से हुए।
धराली से शुरू हुई परीक्षा
धराली में आई बाढ़ ने कई गांवों, होटलों और सड़कों को तबाह कर दिया। लेकिन इस बार हालात बेकाबू नहीं हुए। जैसे ही आपदा की सूचना मिली, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में SDRF, NDRF, सेना और स्थानीय प्रशासन हरकत में आ गए। हेलीकॉप्टर से राहत सामग्री पहुंचाई गई, रेस्क्यू दल सक्रिय हुए और लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया।
धरातल पर उतरे मुख्यमंत्री
सीएम धामी का सबसे अहम योगदान उनकी भौतिक उपस्थिति और निगरानी रही। वे केवल दफ्तर से आदेश देने तक सीमित नहीं रहे, बल्कि हर बड़ी आपदा के बाद मौके पर पहुंचे। उन्होंने खुद राहत शिविरों का निरीक्षण किया, पीड़ितों से संवाद किया और ज़रूरतों को समझकर उसी के मुताबिक निर्देश दिए। गुरुवार को ही वे सहस्त्रधारा, मसूरी रोड और टपकेश्वर मंदिर जैसे प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण कर चुके हैं।
योजनाएं नहीं, क्रियान्वयन दिखा
राज्य सरकार ने ₹5 लाख तक की आर्थिक सहायता की घोषणा की और त्वरित चेक वितरण शुरू किया। जिनके मकान या आजीविका बर्बाद हो चुकी थी, उनके लिए यह मदद तत्काल राहत बनी। वहीं, केंद्र सरकार ने भी इस सक्रियता को देखते हुए ₹1,200 करोड़ का विशेष राहत पैकेज दिया, जिसमें सड़क, बिजली और पुनर्वास के लिए सहायता शामिल है।
धामी मॉडल: क्या है खास?
‘धामी मॉडल’ केवल एक प्रशासनिक प्रणाली नहीं, बल्कि एक विज़न है। इसमें शामिल हैं:
- पूर्वानुमान प्रणाली की मजबूती (मौसम और नदी जलस्तर की सटीक निगरानी)
- तत्काल चेतावनी प्रणाली (रेड/ऑरेंज अलर्ट समय से जारी)
- संगठित और संयुक्त बलों की तैनाती (SDRF, सेना, स्वास्थ्य और प्रशासन का समन्वय)
- एकीकृत कंट्रोल रूम से सबको निर्देशित करना
- स्थानीय निकायों की भागीदारी से पारदर्शिता और त्वरित वितरण
- लंबी अवधि के पुनर्वास की रूपरेखा तैयार करना
जनता और विशेषज्ञों की राय
एक राष्ट्रीय समाचार समूह द्वारा किए गए हालिया सर्वेक्षण में, उत्तराखंड के लोगों ने सीएम धामी को आपदा प्रबंधन में सबसे तेज़ और भरोसेमंद नेतृत्वकर्ता बताया। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह मॉडल अन्य पर्वतीय और आपदा संभावित राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकता है।














