नई दिल्ली, 10 नवम्बर:
देशभर में राष्ट्रीय राजमार्गों (हाईवे) पर बढ़ते सड़क हादसों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता जताई है। कोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और सड़क परिवहन मंत्रालय से दो सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।
जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस विजय विश्नोई की बेंच ने यह निर्देश उस समय दिया, जब कोर्ट ने राजस्थान के फलोदी और आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम में हाल ही में हुए दो बड़े सड़क हादसों पर स्वतः संज्ञान (suo motu) लिया। इन दोनों हादसों में क्रमशः 18 और 19 लोगों की मौत हुई थी।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हाईवे के किनारे बिना अनुमति खुले ढाबे और पार्किंग स्थलों की वजह से कई बार जानलेवा टक्करें होती हैं। कोर्ट ने टिप्पणी की,
“तेज रफ्तार वाहन खड़े ट्रकों को देख नहीं पाते और दुर्घटनाएं हो जाती हैं। यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि कई जगहों पर सड़कें खराब हैं, गड्ढे बने हुए हैं, लेकिन टोल टैक्स वसूला जा रहा है, जो यात्रियों के साथ अन्याय है।
“सड़क की मेंटेनेंस खराब है, जबकि इसके लिए नियमित शुल्क लिया जा रहा है — यह अस्वीकार्य है,” कोर्ट ने कहा।
सुप्रीम कोर्ट ने NHAI और मंत्रालय से यह जानकारी मांगी है कि जिन दो हाईवे पर हादसे हुए, वहां कितने ढाबे हाईवे की जमीन पर या बिना अनुमति के बने हुए हैं, और उनके खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई की गई है।
इसके अलावा कोर्ट ने मेंटेनेंस कार्यों की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि कॉन्ट्रैक्टरों ने सुरक्षा मानकों का पालन किया या नहीं।
कोर्ट ने जोर देकर कहा कि, “हाईवे पर इस तरह की अनियमितताएं सीधे तौर पर जानलेवा हैं। स्थिति को तुरंत नियंत्रित करने की आवश्यकता है।”
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद तय की है, जब NHAI और परिवहन मंत्रालय अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।











