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श्रीलंका में चक्रवात ‘दित्वा’ की तबाही: भारत ने भेजी बड़ी मानवीय मदद, मॉड्यूलर ब्रिज और पानी शुद्धिकरण यूनिट्स पहुंचे

कोलंबो/नई दिल्ली। श्रीलंका चक्रवात दित्वा की भीषण तबाही से जूझ रहा है। देश के कई हिस्सों में सड़कें बह गईं, पुल ढह गए और बाढ़ तथा लैंडस्लाइड ने व्यापक विनाश मचा दिया है। कई जिले पूरी तरह अलग-थलग पड़ चुके हैं, जहां राहत पहुंचाना बेहद मुश्किल हो गया है। इस गंभीर स्थिति में भारत ने अपने पड़ोसी देश की मदद के लिए बड़ा मानवीय अभियान शुरू किया है।

भारतीय उच्चायोग ने गुरुवार को जानकारी दी कि कोलंबो के अनुरोध पर भारतीय वायुसेना का C-17 ग्लोबमास्टर राहत सामग्री लेकर श्रीलंका पहुंचा।
सामान में शामिल हैं:

  • 500 वॉटर प्यूरिफिकेशन यूनिट्स
  • मूवेबल मॉड्यूलर ब्रिज सिस्टम
  • 22 सदस्यीय विशेषज्ञ दल, जिसमें ब्रिज लगाने वाले इंजीनियर और फील्ड अस्पताल के लिए मेडिकल टीम शामिल है

मॉड्यूलर ब्रिज सिस्टम की सहायता से उन इलाकों में भी आवाजाही और राहत पहुंचाना संभव होगा, जहां पुल टूट चुके हैं और सड़क मार्ग बाधित है।

भारत यह सहायता ऑपरेशन सागर बंधु के तहत भेज रहा है, जिसके माध्यम से हवाई, समुद्री और जमीनी मार्गों से व्यापक राहत अभियान चलाया जा रहा है।

चक्रवात के कारण श्रीलंका में हालात बेहद चिंताजनक हैं।
रिपोर्ट के अनुसार:

  • 479 लोगों की मौत हो चुकी है
  • 350 लोग लापता हैं
  • 1.6 मिलियन (16 लाख) से अधिक लोग प्रभावित
  • 455,000 से अधिक परिवार राहत की आवश्यकता में

नेशनल डिजास्टर रिलीफ सर्विसेज सेंटर (NDRSC) के अनुसार सरकार 1,347 राहत शिविर चला रही है, जिनमें 1.88 लाख से अधिक लोग शरण लिए हुए हैं।

श्रीलंका सरकार का अनुमान है कि चक्रवात दित्वा के कारण देश को 6 से 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ है। यह राशि श्रीलंका की GDP के लगभग 3–5% के बराबर है—जो देश की अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव डाल सकती है।

भारत द्वारा भेजे गए ब्रिज सिस्टम और वॉटर प्यूरिफिकेशन यूनिट्स से बाढ़ और भूस्खलन से घिरे क्षेत्रों में राहत कार्यों को गति मिल सकेगी। विशेषज्ञ इंजीनियर और मेडिकल टीम तैनात फील्ड हॉस्पिटल को भी सहयोग प्रदान करेंगे।

भारत की मदद से ऐसे कई क्षेत्रों में राहत पहुंचना संभव होगा, जो अभी तक कटे हुए थे और जहां स्थानीय प्रशासन पहुंच नहीं पा रहा था।