क्या आपको लगता है कि दाल, तेल और सब्ज़ियां महंगी हो गई हैं? या फिर पेट्रोल-डीजल ने बजट बिगाड़ दिया है?
अगर हां, तो अब आप अपनी राय सीधे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) तक पहुंचा सकते हैं।
RBI ने सितंबर 2025 के लिए “मुद्रास्फीति अपेक्षा सर्वेक्षण (IESH)” की शुरुआत कर दी है। इस सर्वे का मकसद है — आम लोगों से जानना कि वे महंगाई को कैसे महसूस कर रहे हैं, और आने वाले महीनों में क्या उम्मीद कर रहे हैं।
सर्वे का उद्देश्य क्या है?
हर तिमाही आरबीआई यह सर्वे कराता है।
मकसद है — मुद्रास्फीति और आम कीमतों को लेकर लोगों की सोच और अनुभव को समझना।
इससे नीति निर्धारण में मदद मिलती है ताकि मौद्रिक नीतियाँ जमीनी हकीकत पर आधारित हों।
सर्वे में क्या पूछा जाएगा?
प्रतिभागियों से पूछा जाएगा:
क्या पिछले तीन महीनों में चीजें महंगी हुई हैं?
अगले 3 महीने और 1 साल में कीमतों को लेकर आपकी क्या उम्मीदें हैं?
कौन-से उत्पाद (जैसे खाद्य पदार्थ, ईंधन, सेवाएं आदि) सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं?
उत्तर गुणात्मक (महसूस हुआ या नहीं) और मात्रात्मक (कितने प्रतिशत बढ़ी/घटी कीमतें) दोनों तरह से लिए जाएंगे।
किन शहरों में हो रहा है सर्वेक्षण?
RBI ने देश के 19 प्रमुख शहरों को चुना है, ताकि विभिन्न क्षेत्रों के उपभोग पैटर्न को समझा जा सके:
अहमदाबाद, बेंगलुरु, भोपाल, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, दिल्ली, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, जम्मू, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, पटना, रायपुर, रांची और तिरुवनंतपुरम।
ऑनलाइन भी उपलब्ध है सर्वे – हर कोई ले सकता है भाग!
अगर आप इन शहरों में रहते हैं और आपसे कोई एजेंसी संपर्क नहीं करती, तब भी आप RBI की वेबसाइट पर जाकर सर्वे फॉर्म ऑनलाइन भर सकते हैं।
यह एक शानदार मौका है नीति निर्धारण में आम जनता की सीधी भागीदारी का।
आपकी राय से तय हो सकता है अगली बार ब्याज दरों का क्या होगा, या महंगाई से कैसे निपटा जाए।
निष्कर्ष: क्यों है यह सर्वे महत्वपूर्ण?
यह केवल एक सर्वे नहीं, आपकी आर्थिक सोच और अनुभव को देश की नीति का हिस्सा बनाने का माध्यम है।
RBI को इससे पता चलता है कि आम लोग वास्तव में महंगाई को किस रूप में महसूस कर रहे हैं।
और यही राय आगे जाकर मुद्रास्फीति नियंत्रण, ब्याज दरों और अन्य आर्थिक फैसलों को प्रभावित कर सकती।