उत्तराखंड वन विभाग में देर रात बड़े स्तर पर प्रशासनिक फेरबदल हुआ, जिसमें कुल 29 भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारियों के दायित्व बदले गए। इस फेरबदल में सबसे चौंकाने वाला नाम रहा नीना ग्रेवाल का, जिन्हें एक बार फिर उत्तराखंड वन विकास निगम का प्रबंध निदेशक नियुक्त किया गया है। दिलचस्प बात यह है कि नीना ग्रेवाल करीब एक दशक तक जलागम प्रबंधन परियोजना में प्रतिनियुक्ति पर रहीं, जो सामान्य नियमों के अनुरूप अधिकतम पांच वर्षों से भी कहीं अधिक है। इस लंबे कार्यकाल पर अब सवाल उठने लगे हैं — क्या नियमों को लांघकर प्रतिनियुक्तियाँ दी जा रही हैं, या फिर ये प्रशासनिक लचीलापन है?
इसी के साथ, कई अन्य वरिष्ठ और कनिष्ठ अधिकारियों के दायित्वों में भी बदलाव हुआ है। एसपी सुबुद्धि को वन भूमि हस्तांतरण का अतिरिक्त प्रभार मिला है, तो तेजिस्विनी पाटिल को कार्ययोजना के साथ कुमाऊं CCF की जिम्मेदारी सौंपी गई है। धीरज पांडे अब गढ़वाल के मुख्य वन संरक्षक होंगे, जबकि संजीव चतुर्वेदी को हल्द्वानी फॉरेस्ट ट्रेनिंग अकादमी का निदेशक बनाया गया है। वहीं, विभिन्न वन प्रभागों जैसे रामनगर, नैनीताल, कालागढ़, चकराता आदि में भी नए डीएफओ की तैनाती की गई है।
इस फेरबदल को जहां कुछ लोग सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया मान रहे हैं, वहीं कुछ हलकों में इसे नियमों के संभावित उल्लंघन और “पसंदीदा पोस्टिंग” की ओर इशारा करने वाला कदम भी माना जा रहा है।