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उत्तर कोरिया में विदेशी टीवी कार्यक्रम देखना बना जानलेवा अपराध, UN रिपोर्ट ने खोली सच्चाई

संयुक्त राष्ट्र की नवीनतम मानवाधिकार रिपोर्ट में उत्तर कोरिया को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर कोरिया में नागरिकों को केवल विदेशी टीवी कार्यक्रम देखने या उन्हें दूसरों के साथ साझा करने पर मौत की सजा दी जा रही है। खासतौर पर दक्षिण कोरियाई “के-ड्रामा” जैसे कार्यक्रमों के प्रसार को रोकने के लिए सरकार ने कड़े और क्रूर कानून लागू किए हैं।

  • 2014 के बाद से निगरानी और सज़ा प्रणाली और कठोर हुई है।
  • कोविड-19 महामारी के बाद फांसी की घटनाओं में वृद्धि दर्ज की गई है।
  • विदेशी सामग्री को देखना और बांटना “सांस्कृतिक प्रदूषण” के तहत दंडनीय अपराध माना जाता है।
  • जिन लोगों ने ऐसी सामग्री अपने दोस्तों या पड़ोसियों के साथ साझा की, उन्हें अदालत में सुनवाई के बिना मौत की सजा दी गई।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय के प्रमुख जेम्स हीनन ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि उत्तर कोरिया में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लगभग समाप्त हो चुकी है। “यह केवल सेंसरशिप नहीं है, यह लोगों के जीवन को नियंत्रित करने का एक हिंसक तरीका बन चुका है,” उन्होंने कहा।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि गरीब और निचले वर्गों से आने वाले किशोरों को जबरन ‘शॉक ब्रिगेड्स’ नामक विशेष श्रमिक दलों में शामिल किया जाता है। उन्हें कोयला खदानों, निर्माण स्थलों और अन्य जोखिमपूर्ण स्थलों पर काम करने के लिए मजबूर किया जाता है, जो बाल श्रम के अंतरराष्ट्रीय कानूनों का खुला उल्लंघन है।

रिपोर्ट में यह ज़रूर बताया गया है कि:

  • कुछ जेलों में गार्ड्स की हिंसा में कमी देखी गई है।
  • न्याय प्रक्रिया में निष्पक्ष सुनवाई के लिए कुछ नए प्रावधान जोड़े गए हैं।
  • हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि ये सुधार सतही हैं और उन्हें व्यापक सामाजिक परिवर्तन का संकेत नहीं माना जा सकता।

उत्तर कोरिया ने हमेशा की तरह इस रिपोर्ट को “पश्चिमी दुष्प्रचार” करार देते हुए खारिज कर दिया है। जिनेवा स्थित उत्तर कोरियाई मिशन और लंदन स्थित दूतावास की ओर से रिपोर्ट पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।