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ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में 73 देशों से आए योग साधकों के लिए महर्षि आश्रम चौरासी कुटिया में ध्यान और विश्व शांति के लिए मौन जप किया। वहीं सांयकालीन संगीत संध्या में विश्व विख्यात ड्रम व ताल वादक शिवमणि और रूना रिजवी ने दर्शकों को अपनी कला से मंत्रमुग्ध किया। बुधवार को अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के चौथे दिन योग साधकों को स्वामी चिदानंद सरस्वती, साध्वी भगवती सरस्वती, रेवरेन्ड माइकल बेकविथ और न्यू थॉट संगीतकार रिकी बायरस बेकविथ के ओजस्वी विचारों को आत्मसात करने का अवसर प्राप्त हुआ। महर्षि आश्रम चौरासी कुटिया में योगियों को स्वामी चिदानंद सरस्वती ने योग साधकों को ध्यान का अभ्यास कराया। ऑर्गेनिक इंडिया के प्रमुख भारत मित्रा और अमेरिकी संगीतज्ञ आनंद्रा जार्ज के मनमोहक संगीत से सभी योग साधक गदगद हो उठे। स्वामी ने कहा कि ध्यान विचारों से मुक्त होने की विद्या है। ध्यान में जाना एक सतत प्रक्रिया है इसके लिए अपने मस्तिष्क में ध्यान के बीज को रोपित करना होगा।इस दौरान योग और ध्यान के विशेष अभ्यास सत्र में योगाचार्य गुरुशब्द सिंह खालसा ने कुंडलिनी योग, योगाचार्य इंदु शर्मा ने परंपरागत हठ योग, मर्ट गुलर सूफी ने लव मेडिटेशन, कैटी बी हैप्पी ने लर्निंग टू फ्लाई इन बैलेंस, अमेरिकी योगाचार्य, संगीतज्ञ आनंद्रा जार्ज ने सूर्य उदय नाद योग साधना, योगाचार्य दाना फ्लिन ने सोल स्वेट, योगीराज विश्वकेतु ने इनर रीप्रोग्रामिंग, योगाचार्य संदीप देसाई ने मेडिटेशन इन मोशन ने बेसिक योग का अभ्यास कराया।
सायंकालीन संगीत कलामंच में विश्व विख्यात ड्रम व ताल वादक शिवमणि और रूना रिजवी ने मंत्रमुग्ध करने वाला संगीत प्रस्तुत किया। अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में आए प्रतिभागी शिवमणि की हर बीट और ताल, रूना रिजवी के संगीत पर योग साधक जमकर झूम उठे। तालवादक शिवमणि की ताल पर परमार्थ निकेतन का पूरा वातावरण संगीतमय हो गया इस दौरान संगीत के ताल पर सभी थिरकने लगे। गंगा रिसॉर्ट में डॉ. उर्मिला पांडे ने प्राणहीलिंग के बारे में बताया। इस दौरान उन्होंने बताया कि योग साधना से नकारात्मक ऊर्जा का क्षरण होता है। साथ ही सकारात्मक ऊर्जा मन-मस्तिष्क में समाहित होती है। उन्होंने कहा कि प्राण हीलिंग के माध्यम से रोगों का उपचार संभव है। योग के इस अभ्यास से शरीर में दिव्य ऊर्जा स्थापित होती है। सायं कालीन सत्र में निरंजनानन्द योग केन्द्र जमोही मुंगेर के अध्यक्ष स्वामी आत्मस्वरूपानन्द ने कहा कि योग का मकसद व्यक्ति के जीवन में चेतना जागृत करना है। योग मन और मस्तिष्क को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। उन्होंने आसन और प्राणायाम की विशेषता बताई और कहा कि शरीर में मन और आत्मा का विकेन्द्रीकरण होने से चित शक्ति का ग्राफ बदल जाता है। जिसे स्वास्थ्य विज्ञान में प्रतिरक्षा प्रणाली के नाम से जाना जाता है।