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लगन और मेहनत से किया काम छोटा या बड़ा नहीं होता : रंजना रावत

लगन और मेहनत से किया काम छोटा या बड़ा नहीं होता : रंजना रावत

दूसरा सत्र :  “मातृशक्ति और उद्यमिता: पहाड़ी अर्थतंत्र की रीढ़” विषय पर आयोजित किया जा रहा है। मॉर्डरेट संपादक संजय अभिज्ञान ने सीईओ इंडिया, लोडस्टार नंदिनी देयास, मशरूम गर्ल एवं वेडिंग प्लानर, रंजना रावत, प्रसाद उत्पादन से जुड़ी दुर्गा करासी और ऐपण गर्ल मीनाक्षी खाती से इस बारे में कुछ सवाल-जवाब किए। जिसमे इन सभी  प्रतिभागियों बढ़चढ़ कर भाग लिया और पूछे गये सवालों का जवाब  बड़ी  प्रेरणा के साथ दिया .

इस अवसर पर रंजना रावत ने कहा कि उन्होंने 90 फीसदी महिलाओं को अपने साथ जोड़कर नया मुकाम बनाया है। हमने प्रसाद, जूट के बैग बनाने शुरू किए। इन्हीं बैग में केदारनाथ धाम का प्रसाद दिया जाता है। इस काम से हमारे साथ 675 महिलाएं जुड़ी हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि पहले मशरूम उत्पादन में लगी महिलाओं को तवज्जो नहीं दी जाती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है। उन्होंने ये काम किया और उन्हें काफी सफलता भी मिली।

वहीं दुर्गा करासी ने कहा कि 86 महिलाओं को जोड़कर हमने सेल्फ हैल्प ग्रुप शुरू किया है। पहले हम आजीविका के लिए परेशान होते थे। लेकिन अब उत्तराखंड सरकार ने महिलाओं के लिए कई योजनाएं बनाई है। जिससे हमें काफी फायदा हो रहा है। इस ग्रुप की हर महिला को सात हजार रुपये ही आय हो रही है।

मीनाक्षी ने कहा कि  महिलाएं अब चूल्हे चौके तक ही  सीमित  नहीं  रहीं  वे अब हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। सरकार के प्रयास और महिलाओं की मेहनत से यह संभव हो पा रहा है।

नंदिनी ने कहा कि प्रोडक्ट को ब्रांड में बदलने की प्रक्रिया बड़ी है। सबसे पहले उसे नाम दें। इसके बाद देखें की उसकी मार्केटिंग कहां हो सकती है। इसके बाद ही आप अपने प्रोडक्ट की ब्रांडिंग कर पाएंगी।

आपको बता दें की पहला सत्र (उम्मीद की किरणें : रचनात्मक क्षेत्र में पहाड़ की महिलाएं) विषय पर आयोजित किया जा रहा है। मॉर्डरेटर विनोद अग्निहोत्री, सलाहकार संपादक, अमर उजाला ने अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी, फिल्म प्रोड्यूसर एवं कत्थक नृत्यांगना आरुषि पोखरियाल निशंक, गायिका संगीता ढौंडियाल, राजनीति विश्लेषक नेहा जोशी, हेस्को से डॉ. किरन नेगी और छात्रा शालिनी से प्रश्न किए थे। 

आरुषि निशंक से पूछा कि उनके अंदर कत्थक की रूचि कहां से आई? तो उन्होंन कहा कि कत्थक हमारा शास्त्रीय नृत्य है। मुझे भारतीय होने पर गर्व है। कहा कि पूरे विश्व में ये भारतीय लड़कियों के बाल लंबे कैसे होते हैं? स्किन अच्छी कैसे होती है? लोग साड़ी को पसंद करते हैं। उत्तराखंड की महिलाओं ने बहुत चैलेंज लिए हैं। कहा कि महिलाओं को सशक्तिकरण की जरूरत नहीं है। जरूरत है उन्हें उनकी शक्ति का एहसास कराने की।

नेहा शर्मा ने कहा कि मुझे बचपन से राजनीति पसंद थी। लेकिन पापा चाहते थे कि मैं आईएएस बनूं। लेकिन ये सच है कि अच्छी सोच के साथ ही आप समाज में बदलाव ला सकते हैं। मैंने इस क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है। मुझे इस बात का गर्व है।

संगीता ढौंडियाल ने कहा कि महिलाएं काम कर रही हैं। लेकिन सरकार से उन्हें सहायता नहीं मिलती है। पुरुष कलाकार को महिलाओं से ज्यादा महत्व दिया जाता है। जबकि दोनों की योग्यता बराबर होती है। उन्होंने कहा कि लोक संस्कृति के बढ़ावे के लिए प्रदेश में संस्थाएं खुलनी चाहिए।
अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी ने कहा कि खेल प्रतियोगिताओं में भी पुरुषों को अधिक धनराशि दी जाती है। बॉलीवुड मे ही यही हाल है। हीरो को ज्यादा पेमेंट मिलता है। कहा कि भारत में बॉलीवुड में महिलाओं पर केंद्रित फिल्में कम बनती हैं। जबकि विदेशों में ऐसा नहीं है। हिमानी शिवपुरी ने कहा कि पहाड़ी ही पहाड़ की फिल्में देखने नहीं आते हैं। उन्हें बुलाना पड़ता है। इसके लिए हमें खुद अपनी जिम्मेदारी तय करनी होगी।

 

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