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1971 युद्ध के 50 साल पूरे होने के अवसर पर बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से रवाना की गई विजय ज्योति शुक्रवार को देहरादून पहुंची। यहां विजय ज्योति का सेना के जवानों, अधिकारियों ने जोरदार स्वागत किया। क्लेमेंटटाउन में पहुंचे झील के पास बने शहीद जसवंत सिंह की प्रतिमा के सामने विजय ज्योति को सलामी दी गई। इस दौरान युद्ध भाग लेने वाले ले. जनरल आनंद स्वरूप ने युद्ध के दौरान के अनुभवों को साझा कर सैन्य अधिकारियों और सैनिकों में जोश भरा।
विजय ज्योति करीब 10:30 बजे क्लेमेंटटाउन के झील के पास स्थित शहीद जसवंत सिंह के प्रतिमा के सामने पहुंची। जहां विधायक विनोद चमोली, जीओसी 14 रैपिड मेजर जनरल राहुल आर सिंह, कैंट बोर्ड अध्यक्ष ब्रिग्रेडियर रवि डिमरी, सीईओ अभिषेक सिंह राठौर, उपाध्यक्ष भूपेंद्र सिंह कंडारी, भाजपा नेता महेश पांडे सहित क्लेमेंटटाउन के क्षेत्रवासियों ने विजय ज्योति का स्वागत किया।
इस दौरान ब्रिगेडियर रवि डिमरी ने ज्योति को 1971 के हीरो रहे कैप्टन हरिदत्त पांडे और सूबेदार मान सिंह बिष्ट को सौंपा। यहां विजय ज्योति को सलामी देने के बाद विजय ज्योति गोल्डन की डिवीजन के रंजीत सिंह ऑडिटोरियम में लाया गया। वहां जीओसी 14 रैपिड राहुल आर सिंह सहित सैन्य के अन्य अधिकारियों, जवानों ने विजय ज्योति को सलामी देकर स्वागत किया। इस दौरान 1971 भारत-पाक युद्ध में योगदान देने वाले पूर्व सैन्य अधिकारियों, जवानों और वीर नारियों को सम्मानित किया गया। इस दौरान जाबाजों को सम्मानित करते हुए आईएमए के कमांडेंट ले. जनरल हरिंद्र सिंह ने कहा कि 1971 की लड़ाई एक पूर्व लड़ाई थी इस युद्ध ने साबित कर दिया कि भारत और उसके सैनिकों में कितनी काबिलियत है।
कहा कि वर्ल्ड वार दो के बाद भारत-पाक के बीच हुआ यह युद्ध सबसे बड़ा था। इसमें भारत के अलावा पाकिस्तान के भारी संख्या में जवान, जेसीओ घायल और मारे गए। भले ही यह लड़ाई 13 दिन की थी, लेकिन यह आमने-सामने वाली एक अहम लड़ाई थी। इसके बाद पिछले 40-50 साल में भारत ने ऐसी लड़ाई नहीं लड़ी है, लेकिन वर्तमान में चीन के साथ ऐसे हालत बन रहे हैं। इसलिए सेना के जवानों, अधिकारियों को इस लड़ाई और इसमें प्रतिभाग करने वालों से सीखना पड़ेगा।