अब ऊर्जा निगमों के कर्मचारियों को असीमित बिजली जलाने कि सुविधानहीं मिलेगी. सचिव ऊर्जा, पिटकुल, यूजेवीएनएल को बस 25 नंवबर तक का समय दिया गया हे.अब इस नई याचिका के जारी होने के बाद यूपीसीएल, यूजेवीएनएल और पिटकुल के उन हजारों कर्मचारियों और पेंशनरों को जोर का झटका लग सकता है, जिन्हें सस्ती दरों पर असीमित बिजली की खपत की सुविधा दी जा रही है। हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यूपीसीएल ने शपथपत्र पेश कर कहा कि तीनों निगमों में दी जा रही बिजली को सीमित किया जा रहा है और अब सस्ती बिजली नहीं दी जाएगी।राज्य के ऊर्जा निगमों के अधिकारी और कर्मचारियों को सस्ती बिजली देने और आम जनता के लिए बिजली की दरों को बढ़ाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर बृहस्पतिवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई हे।
देहरादून के आरटीआई क्लब की इस जनहित याचिका पर कोर्ट ने सचिव ऊर्जा, पिटकुल और तीनों निगमों को आदेश दिए कि वे अफसर-कर्मी और पेंशनरों को दी जा रही बिजली का संपूर्ण ब्योरा 25 नवंबर तक पेश कर दे। याचिकाकर्ता के वकील बीपी नौटियाल ने कहा कि यूपीसीएल ने कोर्ट में कहा है कि 18 नवंबर को निदेशक मंडल की बैठक में असीमित बिजली खपत की सुविधा को सीमित करने के संबंध में फैसला ले लिया जाएगा।सरकार ऊर्जा निगम में तैनात अधिकारियों से एक माह केवल 65 से 425 रुपये ले रही है, जबकि बिजली कि जितनी खपत इनके द्वारा कि जाती हे इनका बिल लाखों में आता है.
और इसका बोझ सीधे जनता पर पड़ रहा है। जिसने यह याचिका दायर कि थी उसका कहना था कि तमाम अधिकारियों के घर मेंबिजली के मीटर तक नहीं लगे हैं और जो लगे भी हैं, वह खराब हैं। कॉरपोरेशन ने वर्तमान कर्मचारियों के अलावा रिटायर और उनके आश्रितों को भी बिजली मुफ्त में दी है। याचिका में कहा कि उत्तराखंड ऊर्जा प्रदेश घोषित है और यहां हिमाचल से महंगी बिजली है, जबकि वहां बिजली का उत्पादन तक नहीं होता है। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने पिटकुल और यूपीसीएल के कार्मिकों को दी जा रही बिजली का संपूर्ण डाटा 25 नवंबर को पेश करने के आदेश सचिव ऊर्जा, पिटकुल और यूजेवीएनएल के अधिकारियों को दिए हैं। बिजली कि खपत सबसे ज्यादा इन कर्मचारियों के यहां होती हे परन्तु इसका खामियाजा आम उपभोक्ताओं को चुकाना पड़ता रहा हे. क्लब की ओर से याचिका में वित्तीय कुप्रबंधन और अनियमितता के मसले उठाए गए हैं। हम चाहते हैं कि उच्च न्यायालय की निगरानी में इनकी एक उच्चस्तरीय जांच हो।
बीपी मैठाणी, अध्यक्ष, आरटीआई क्लब यूपीसीएल की ओर से उच्च न्यायालय में जवाब दाखिल कर दिया गया है। अफसरों और कर्मचारियों को दी जा रही बिजली सुविधा के बारे में सरकार और निगम के स्तर पर विचार चल रहा है। सभी पक्षों से बात करके इस पर निर्णय लिया जाएगा।
यूपीसीएल, यूजेवीएनएल और पिटकुल के कर्मचारियों द्वारा जो बिजली खपत कि जा रही हे और जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा हे इस याचिका पर जल्द ही सुनवाई कि जाएगी.