शम्मी ने बताया कि ज्यादातर छात्र अपनी क्लास छूटने के कारण असमंजस में थे और इसीलिए घर लौटना नहीं चाहते थे। लेकिन बच्चों के एक स्कूल पर रूसी हमले के बाद उन्हें लगा कि खतरा उठाना ठीक नहीं है। क्योंकि वह राजधानी कीव में थे और संसद से लेकर राष्ट्रपति भवन तक राजधानी कीव में ही स्थित है। इसलिए आशंका था कि रूस किसी भी समय यूक्रेन की राजधानी कीव को निशाना बना सकता है। शम्मी और उनके दोस्त मोहम्मद अकरम ने 20 फरवरी को फ्लाइट का टिकट बुक कराया और 22 फरवरी को कनेङ्क्षक्टग फ्लाइट से वह भारत पहुंच गए। शम्मी के वालिद मोहसिन सिद्दीकी बताते हैं कि यूक्रेन पर रूसी हमले की खबर सुनने के बाद से उनकी नींद उड़ी हुई थी। वह लगातार शम्मी से बात कर घर लौटने के लिए कह रहे थे। बेटे के सलामत घर पहुंचने से बहुत सुकून मिला है। बताया कि उनका परिवार अब यूक्रेन में फंसे सभी भारतीय छात्रों के सकुशल लौटने की दुआएं कर रहा है।
हरिद्वार: शम्मी ने बताया कि फिलहाल उनकी आनलाइन क्लास चल रही हैं। कई दोस्त संपर्क में हैं। एक माह की इमरजेंसी घोषित होते ही लोग राशन और जरूरत का सामान इकट्ठा करने में जुट गए। छात्रों को यह बताया जा रहा है कि जैसे ही हमले की आशंका पर सायरन बजेगा, तुरंत बंकर में छिप जाना है। बताया कि मेट्रो ट्रेन के लिए बनाई गई भूमिगत सुरंग भी युद्ध के हालात में बंकर की तरह इस्तेमाल की जा रही है।यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों के लिए हर दिन बढ़ रहा फ्लाइट का किराया भी बड़ी समस्या बन रहा है। शम्मी खुद दोगुना किराया खर्च कर अपने घर लौटे हैं। हालांकि युद्ध के हालात में छात्रों के स्वजन अपने बच्चों को किसी भी सूरत घर लाने की जद्दोजहद में जुटे हुए हैं। लेकिन काफी छात्र कई गुना महंगा किराया होने के कारण भी घर वापस आने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। शम्मी के वालिद मोहसिन सिद्दीकी ने अपील करते हुए कहा कि सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए, ताकी सभी छात्रों की सकुशल वापसी हो सके।