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स्टूडेंट्स ईको-क्लब के जरिये पर्यावरण को समझेंगे

स्टूडेंट्स ईको-क्लब के जरिये पर्यावरण को समझेंगे

बोर्ड ने पर्यावरण संरक्षण की इस मुहिम को वन चाइल्डवन प्लांट नाम दिया है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने स्टूडेंट्स को पर्यावरण संरक्षण संबंधी एक्टिविटी से जोडऩे की पहल शुरू की है। उसने इसे स्कूलों को संबद्धता देने के नियमों में भी शामिल कर लिया है। इसके तहत प्रत्येक स्कूल स्टूडेंट्स से एकएक पौधा अनिवार्य रूप से लगवाएगा। विद्यार्थी पौधे को स्कूल परिसर, अपने घर, कॉलोनीमैदान कहीं भी लगा सकता है। पौधे की देखभाल का जिम्मा भी बच्चे निभाएंगे। इसके अलावा विद्यार्थियों को विभिन्न पौधों की प्रजाति, उपयोग आदि की जानकारी दी जाएगी। पर्यावरण से जुड़ी एक्टिविटी के आधार पर छात्रों को इंटरनल एसेसमेंट के लिए ग्रेड दिया जा सकता है। केंद्र सरकार के जल शक्ति अभियान से प्रेरित होकर सीबीएसई ने यह पहल की है। बोर्ड के एकेडमिक डायरेक्टर की ओर से इस संबंध में आदेश जारी किया गया है। इसके अनुसार सभी स्कूलों को ईकोक्लब बनाना होगा। वेबसाइट पर अपलोड होगी फोटो

बोर्ड ने कहा है कि ईकोक्लब जल संरक्षण संबंधी गतिविधियां संचालित करने के लिए गाइडलाइन जल्द मुहैया कराई जाएगी। समस्या होने पर स्कूल बोर्ड से संपर्क कर सकते हैं। स्कूलों को अगस्त में हुई गतिविधि 10 सितंबर तक बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड करनी होगी।

ये हैं महत्वपूर्ण बिंदु

1. ‘जल संरक्षकÓ को बोर्ड ने वर्ष 2019-20 के शिक्षा सत्र में विशेष रूप से शामिल किया है।

2.  सभी स्कूलों में ईको-क्लब अनिवार्य रूप से बनाया जाए। जहां पहले से ही क्लब अस्तित्व में हैं, उन्हें और मजबूत करने पर जोर दिया जाए।

3. क्लब से जुड़े कार्यक्रम प्राइमरी से सीनियर सेकेंडरी तक के स्टूडेंट्स को शामिल करें।

4. क्लास 5 से लेकर 12 तक के विद्यार्थियों को यह प्रण दिलाया जाए कि वे रोजाना एक लीटर पानी स्कूल और घर में बचाएंगे।

5. अगले तीन वर्षों में स्कूल प्रबंधन को वाटर एफिशिएंट स्कूल बनाने का लक्ष्य रखकर कार्य करना होगा।

मदन सिंह बिष्ट, पर्यावरण विशेषज्ञ ने बताया कि सीबीएसई ने अच्छा कदम उठाया है। जलपर्यावरण हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं। अगर इसे आज नहीं सहेजेंगे तो आने वाली पीढ़ी इसका खामियाजा भुगतेगी। पौधे लगाते समय स्थानीय प्रजाति का ध्यान रखा जाए। पीएस अधिकारी, प्रधानाचार्य शिवालिक स्कूल का कहना है कि पर्यावरण बचाने के लिए बोर्ड अच्छा प्रयास कर रहा है। कुछ स्कूलों में पहले से ईकोक्लब हैं। इस प्रयास से बच्चे प्रकृति से जुड़ाव महसूस करेंगे और उसकी अहमियत समझ सकेंगे।

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