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इस कलिकाल में जो मनुष्य श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करता है उसका यह लोक ही नहीं परलोक भी सुधर जाता है। भागवत कथा हमें सत्कर्म और सद्भाव करने के लिए प्रेरित करती है। रविवार को मायाकुंड स्थित आश्रम परिसर से स्वामी कृष्णाचार्य के सानिध्य में श्रीमद्भागवत कथा से पूर्व कलश यात्रा का आयोजन किया गया। कलश यात्रा आश्रम परिसर से शुरू होकर त्रिवेणी घाट गंगा तट पर पहुंची। गंगा तट पर गंगा पूजन के साथ ही कलश पूजन किया गया। पूजन के बाद कलश में गंगा जल भर कर कलश यात्रा नगर भ्रमण कर दोबारा आश्रम पहुंची। कलश यात्रा के बाद कथा वाचक स्वामी कृष्णाचार्य ने कथा प्रेमियों को श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण कराया गया। उन्होंने कहा कि इस कलिकाल में श्रीमद्भागवत कथा ही एक ऐसा माध्यम है जो मनुष्य को आध्यात्म के मार्ग पर आगे ले जाता है। भागवत कथा हमें सत्कर्म और सद्भाव करने के लिए प्रेरित करती है। इस अवसर पर गोपालाचार्य, रवि शास्त्री, सरोज शर्मा, विनय पंत, आशीष शर्मा, मनीष शर्मा, अवनीश शर्मा, अनिता,दीपिका, राजेंद्र प्रसाद, महिमानंद रतूड़ी, ऊषा गैरोला, कृष्णा डोभाल मौजूद थे