प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर मची हलचल से नौकरशाही भी अछूती नहीं रही। दिन भर आला अधिकारी घटनाक्रम पर नजरें रखे हुए थे। हर कोई मुख्यमंत्री के इस्तीफे और नए मुखिया के संबंध में जानकारी लेने को बेकरार रहा। घटनाक्रम की जानकारी के लिए पूरी अफसरशाही मीडिया से लेकर अपने राजनीतिक संपर्कों से पल-पल की सूचना लेती रही। इसका एक कारण धड़ों में बंटी नौकरशाही में पावर गेम में रहना भी है।प्रदेश में मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर सुबह से ही सचिवालय में हलचल मची हुई थी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के देहरादून पहुंचने के बाद सबकी नजरें मुख्यमंत्री आवास पर जाकर टिक गईं कि मुख्यमंत्री का अगला कदम क्या होगा। राज्यपाल से मुलाकात कर इस्तीफा सौंपने तक की नौकरशाही पूरी जानकारी लेते रही है। मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद यह भी पता लगाने का प्रयास चलता रहा कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा। दावेदारों के नामों पर भी अधिकारी खासी रुचि दिखाते हुए इनके मुख्यमंत्री बनने अथवा न बनने पर भी चर्चा में मशगूल रहे।
सचिवालय की बात करें तो यहां भी दिन भर नेतृत्व परिवर्तन को लेकर ही चर्चा होती रही। हर कोई कंप्यूटर स्क्रीन अथवा मोबाइल पर इंटरनेट मीडिया के माध्यम से पल-पल की जानकारी लेता रहा। दरअसल, देखा जाए तो इस बार नेतृत्व परिवर्तन के कारणों को लेकर जो चर्चाएं चलीं, उनमें एक कारण मंत्री व विधायकों का अफसरशाही की कार्यशैली से नाराजगी भी माना जा रहा है। सूबे की अफसरशाही दो धड़ों में बंटी हुई है। ऐेसे में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर दोनों ही धड़ों में खासी उत्सुकता भी देखी जा रही है। अब नए निजाम को लेकर अफसरशाही में खासी बैचनी है। माना जा रहा है कि नेतृत्व परिवर्तन के बाद अफसरशाही में भी बदलाव देखने को मिल सकता है।