वरिष्ठ चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिल आर्य ने बताया कि सिंथेटिक रंगों में ब्रोमाइड के अलावा क्रोमियम, कॉपर सल्फेट, आयरन सल्फाइड, जिंक, निकिल, ब्लैक लेड ऑक्साइड, क्रोमियम आयोडाइड, सिल्वर एल्युमिनियम ब्रोमाइड, मर्करी सल्फेट, टाइटेनियम, कोबाल्ट, कोबाल्ट अमोनिया, कॉपर सहित कई हानिकारक तत्व और धातु मिले होते हैं।
इनसे त्वचा कैंसर तक होने का खतरा रहता है। इन रंगों से त्वचा में एलर्जी, आखों में जलन और पेट की समस्याएं भी हो सकती हैं। इसलिए कोशिश करें कि ऑर्गेनिक या हर्बल रंगों से ही होली खेलें। हालांकि, इन आसानी से इन रंगों की पहचान संभव नहीं है। इससे बचने के लिए फूल, पत्तियों से तैयार रंगों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
इन बातों का भी रखें ध्यान
-रंगों को चमकीला बनाने के लिए शीशे का बुरादा इस्तेमाल किए जाता है। शीशे से त्वचा खुरदरी हो सकती है। साथ ही इससे एक्जिमा व त्वचा का अल्सर हो सकता है।
-गुलाल को चमकदार बनाने के लिए उसमें एल्युमीनियम ब्रोमाइड मिलाया जाता है। जो कैंसर जैसी बीमारी को जन्म देता है।
-गुलाल में मिलाए जाने वाले मरकरी सल्फाइड से त्वचा कैंसर हो सकता है।
-कॉपर सल्फेट आंखों में एलर्जी और जलन पैदा करता है। इसके अधिक प्रयोग से आंखों की रोशनी तक जा सकती है।
-गीले रंगों में जेंशियन वायोलेट मिलाया जाता है। जो त्वचा के प्राकृतिक रंग को प्रभावित कर सकता है।