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ना तो वह पुरी के रहने वाले हैं और ना ही वहां सक्रिय रहे, 2012 में कश्मीरी गेट सीट से लड़ा नगर पालिका पार्षद का चुनाव, बुरी तरह हारे
सिंगोरी न्यूजः टीवी बहसों में भाजपा की पैरवी करने वाले संवित पात्रा भले ही 2014 में में दिल्ली के कश्मीरी गेट से नगर पालिका पार्षद का चुनाव हार गए हों लेकिन इस बार भाजपा ने उन्हें पुरी से लोकसभा का टिकट थमा दिया है। किस आधार पर उन्हें यह टिकट दिया गया यह पार्टी के नेता व कर्ताधर्ता भी नहीं जानते। आश्चर्य कि बात है कि उनके अपने राज्य ओडिशा में उनके बारे में लोग उतना ही जानते हैं जितना देश के बाकी राज्यों के लोग यहां तक कि राज्य भाजपा के कार्यकर्ता भी पुरी लोकसभा क्षेत्र से पार्टी के इस उम्मीदवार के बारे में ज़्यादा कुछ नहीं जानते। इसके पीछे वजह यह है कि डॉ पात्रा ने ओडिशा में बहुत कम समय बिताया है उनका जन्म ओडिशा में ज़रूर हुआ लेकिन उन्होंने अपने स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई धनबाद और विशाखापत्तनम से पूरी की। इन दोनों जगहों पर उन्हें पिता नौकरी करते थे। 90 के दशक में वो अपनी मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के लिए ओडिशा वापस आए। 13 दिसंबर 1974 को जाजपुर ज़िले के मंगलपुर गांव में जन्में डॉ पात्रा ने साल 1997 में ओडिशा के बुर्ला के वीएसएस मेडिकल कॉलेज से अपनी एमबीबीएस की डिग्री पूरी की। इसके बाद साल 2002 में वो कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज से मास्टर ऑफ़ सर्जरी की डिग्री हासिल की और फिर नई दिल्ली के हिंदूराव अस्पताल में नौकरी करना शुरू किया।
नगरपालिका का चुनाव हार गए थे डॉण् पात्रा
भाजपा से जुड़े लोग यह बताते हैं कि पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉण् हर्षवर्धन की वजह से संबित पात्रा राजनीति में आए। उन्होंने पार्टी ज्वाइन की और धीरे.धीरे एक के बाद एक सीढ़ियां चढ़ते चले गए। भाजपा ने उन्हें साल 2011 में राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया और इसके बाद वो देखते ही देखते पार्टी का राष्ट्रीय चेहरा बन गए। तब से आजतक वो टीवी पर भाजपा के एक प्रभावी प्रवक्ता के रूप में जाने जाते हैं। साल 2012 में उन्होंने दिल्ली के कश्मीरी गेट से नगरपालिका चुनाव लड़ा। लेकिन हार गए ।
लोकसभा के लिए वो पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। साल 2017 में मोदी सरकार ने उन्हें ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेसन ;ओएनजीसी का निदेशक नियुक्त कियाए जो पार्टी में उनके बढ़ते हुए प्रभाव को साबित करता है
पात्रा को किस आधार पर पुरी लोकसभा चुनाव क्षेत्र से भाजपा का प्रत्याशी चुना गया। इसका जवाब पार्टी की राज्य इकाई में किसी के पास नहीं है। व्यक्तिगत या राजनैतिक रूप से पुरी से उनका दूर.दूर तक कोई नाता नहीं रहा है। पुरी के ही नहीं बल्कि अन्य क्षेत्र के लोग भी पार्टी के इस फ़ैसले पर आश्चर्य जताते हैं। हालांकि चर्चा यह भी जोरों पर थीं कि इसबार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पुरी से चुनाव लड़ सकते हैं। 2014 में भाजपा के वरिष्ठ नेता अशोक साहू पुरी लोकसभा क्षेत्र से पार्टी के उम्मीदवार थे।बीजद के पिनाकी मिश्र को विजयी रहे।
जाहिर है कि डॉ पात्रा के लिए यह चुनाव आसान नहीं होगा न तो वो पुरी के रहनेवाले हैं और न ही इस चुनाव क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं। लेकिन खुद पात्रा नहीं मानते हैं कि पुरी में उनका अजनबीपन उनकी जीत में बाधक बनेगा वो कहते हैं हर कोई एक दिन नया होता है और बाद में पुराना बनता है। —सदीप शाहू साभार—