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दूध और जूस के खाली डिब्बों के कचरे से बनाई गई बेंच लगाई गई गांधी पार्क में

दूध और जूस के खाली डिब्बों के कचरे से बनाई गई बेंच लगाई गई गांधी पार्क में

दूध और जूस के खाली डिब्बों के कचरे से बनाई गई बेंच गांधी पार्क में लगाई गई हैं। यह कचरे के उपयोग को दर्शाने का काम तो करेंगी ही बल्कि पर्यावरण के बचाव का संदेश भी दे रहीं। महापौर सुनील उनियाल गामा व नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने इन्हें बुधवार को पार्क में स्थापित कराया। महापौर गामा ने कहा कि अगर यह प्रयोग सफल रहा तो शहर के सभी सार्वजनिक स्थानों व बाजारों में जनता के लिए इस तरह की बैंच लगाई जाएंगी। दून में कूड़े के निस्तारण में काम कर रही एक संस्था को नगर निगम की ओर से गत वर्ष एक वार्ड में कचरा उठाने व निस्तारण करने की जिम्मेदारी दी गई थी। इसके लिए संस्था वार्ड से शुल्क भी वसूल रही। कचरे के निस्तारण के साथ ही संस्था ने दूध और जूस के खाली पैकेट या डिब्बों को एकत्रित कर उसे रिसाइकिल किया और उसके बोर्ड बनाए। उन्हीं बोर्ड का प्रयोग अब फर्नीचर के लिए किया जा रहा। इसी क्रम में पिछले दिनों संस्था ने कूड़ेदान नुमा गुल्लक बनाई थी, जिसे नगर निगम में रखा गया है।

उसी दौरान नगर आयुक्त ने संस्था को बैठने की बेंच बनाकर गांधी पार्क में लगाने की मंजूरी दी थी। संस्था की ओर से पहले चरण में दो बेंच लगाई गई हैं। बुधवार को कार्यक्रम के दौरान संस्था ने कूड़े-कचरे के निस्तारण के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए एक नुक्कड़ नाटक भी प्रस्तुत किया। जानकारों की मानें तो गत्ते के जिस बोर्ड से संस्था फर्नीचर का काम कर रही है, अभी उसकी गुणवत्ता पर संशय जताया जा रहा। बारिश या धूप में इसके गलने या सडऩे का खतरा बताया जा रहा। महापौर ने कहा कि गांधी पार्क में बेंच सार्वजनिक तौर पर लगाई गई हैं। कुछ महीने बाद इन बेंच का परीक्षण किया जाएगा। अगर बेंच खराब नहीं हुई तो संस्था के जरिए और बेंच बनाने का काम कराया जाएगा। कार्यक्रम में मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. कैलाश जोशी, वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. आर के सिंह व संस्था की अंकिता चमोला, साक्षी शर्मा, अमन ग्रोवर आदि मौजूद रहे। संस्था की ओर से एक किलो कचरे के बदले सात रुपये भी दिए जा रहे।

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