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मामला मध्य प्रदेश के खंडवा का है। यहां जो हुआ वह इतना बताने के लिए काफी है कि यहां स्वयं को चौकीदार बताने वाले कितनी हनक में रहते हैं। उनके लिए ना तो पुलिसिंग के मायने दिख रहे हैं और ना ही आचार संहिता के। इस रूतबे और हनक को देख जैसे तैसे अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले देश असली चौकीदार का तिलमिलाना लाजमी है। खबर है कि खंडवा के इंदिरा चौक पर महिला सूबेदार ज्योति सूर्यवंशी और पुलिस जवान वाहनों को रोककर पदनाम वाली नंबर प्लेट निकलवा रहे थे। इसी बीच पंधाना विधायक राम दांगोरे का वाहन सूबेदार ने रोका लिया। उनके वाहन पर नंबर प्लेट के ऊपर एक और प्लेट लगी थी। जिस पर चौकीदार पंधाना लिखा था। सूबेदार ने जवानों से कहा. ये चौकीदार वाली प्लेट निकालो। इस पर विधायक ने कहा. मैडम कौन से नियम के तहत आप मेरे वाहन की प्लेट निकाल रहे हो। मैं एमएलए हूं। आचार संहिता का सम्मान करते हुए मैंने मेरे वाहन से एमएलए पदनाम वाली प्लेट पहले ही निकाल दी है। चौकीदार की प्लेट क्याें नहीं लगा सकते हैं। ऐसा कोई नियम हो तो बताइए। इस बीच सूबेदार और विधायक के बीच जमकर बहस शुरू हो गई।
सूबेदार को गलती का अहसास होने पर उन्होंने कहा आपकी गाड़ी पर नंबर भी नहीं है। विधायक ने कहा. मैडम पहले आपने कहा चौकीदार लिखा है। प्लेट हटा लो। अब नंबर की बात कर रहे हो। तभी पुलिस जवान ने कहा. मैडम गाड़ी पर नंबर लिखा हुआ है। फिर सूबेदार ने कहा. पीछे कमल का फूल बना है। विधायक ने कहा. कमल का फूल बता दो। कमल का फूल भी नहीं मिला। विधायक ने कहा. आप कांग्रेस के इशारों पर हमारे कैंपेन ;चौकीदार को बाधित कर रहे हैं। सूबेदार ने कहा. ऐसा नहीं है। विधायक ने कहा तो फिर कागज बताइये। इस तरह विधायक राम दांगोरे और सूबेदार ज्योति सूर्यवंशी के बीच करीब 40 मिनट तक बहस चली। विधायक बोले मैं कोर्ट जाउंगा। जो हनक और रूतबा यह चैकीदार दिखा रहे हैं उससे असली चैकीदारों का तिलमिलाना स्वाभाविक है।
मामला मध्य प्रदेश के खंडवा का है। यहां जो हुआ वह इतना बताने के लिए काफी है कि यहां स्वयं को चैकीदार बताने वाले कितनी हनक में रहते हैं। उनके लिए ना तो पुलिसिंग के मायने दिख रहे हैं और ना ही आचार संहिता के। इस रूतबे और हनक को देख जैसे तैसे अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले देश असली चैकीदारों का तिलमिलाना लाजमी है। खबर है कि खंडवा के इंदिरा चौक पर महिला सूबेदार ज्योति सूर्यवंशी और पुलिस जवान वाहनों को रोककर पदनाम वाली नंबर प्लेट निकलवा रहे थे। इसी बीच पंधाना विधायक राम दांगोरे का वाहन सूबेदार ने रोका लिया। उनके वाहन पर नंबर प्लेट के ऊपर एक और प्लेट लगी थी। जिस पर चौकीदार पंधाना लिखा था। सूबेदार ने जवानों से कहा. ये चौकीदार वाली प्लेट निकालो। इस पर विधायक ने कहा. मैडम कौन से नियम के तहत आप मेरे वाहन की प्लेट निकाल रहे हो। मैं एमएलए हूं। आचार संहिता का सम्मान करते हुए मैंने मेरे वाहन से एमएलए पदनाम वाली प्लेट पहले ही निकाल दी है। चौकीदार की प्लेट क्याें नहीं लगा सकते हैं। ऐसा कोई नियम हो तो बताइए। इस बीच सूबेदार और विधायक के बीच जमकर बहस शुरू हो गई। असली चैकीदार अपनी ड्यूटी कर रहा है और नकली चैकीदार अपनी हनक दिखा रहा है।
सूबेदार को गलती का अहसास होने पर उन्होंने कहा आपकी गाड़ी पर नंबर भी नहीं है। विधायक ने कहा. मैडम पहले आपने कहा चौकीदार लिखा है। प्लेट हटा लो। अब नंबर की बात कर रहे हो। तभी पुलिस जवान ने कहा. मैडम गाड़ी पर नंबर लिखा हुआ है। फिर सूबेदार ने कहा. पीछे कमल का फूल बना है। विधायक ने कहा. कमल का फूल बता दो। कमल का फूल भी नहीं मिला। विधायक ने कहा. आप कांग्रेस के इशारों पर हमारे कैंपेन ;चौकीदार को बाधित कर रहे हैं। सूबेदार ने कहा. ऐसा नहीं है। विधायक ने कहा तो फिर कागज बताइये। इस तरह विधायक राम दांगोरे और सूबेदार ज्योति सूर्यवंशी के बीच करीब 40 मिनट तक बहस चली। विधायक बोले मैं कोर्ट जाउंगा। जो हनक और रूतबा यह चैकीदार दिखा रहे हैं उससे असली चैकीदारों का तिलमिलाना स्वाभाविक है।