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कैबिनेट फैसले को पूर्व छात्र संघ पदाधिकारियों और भाजपा के पूर्व नेता रविंद्र जुगरान ने गैर कानूनी करारा

कैबिनेट फैसले को पूर्व छात्र संघ पदाधिकारियों और भाजपा के पूर्व नेता रविंद्र जुगरान ने गैर कानूनी करारा

सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालय को लेकर कैबिनेट के फैसले को डीएवी कॉलेज के पूर्व छात्र संघ पदाधिकारियों और भाजपा के पूर्व नेता रविंद्र जुगरान ने गैर कानूनी करार दिया है। रविवार को उत्तरांचल प्रेस क्लब में अशासकीय कॉलेजों की पैरवी करने उतरे भाजपा नेता रविंद्र जुगरान, डीएवी के पूर्व अध्यक्ष विवेकानंद खंडूड़ी, पूर्व अध्यक्ष विजय प्रताप मल्ल, डीएवी के पूर्व उपाध्यक्ष अनिल वर्मा ने पत्रकारों को संबोधित किया। उन्होंने तर्क दिया कि 15 जनवरी को कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया गया कि जो सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालय श्रीदेव सुमन से संबद्धता नहीं लेता है तो सरकार उनके अनुदान को बंद कर देगी। कैबिनेट का यह फैसला असंवैधानिक है। इन अशासकीय महाविद्यालयों की संबद्धता केंद्रीय विवि अधिनियम 2009 की धारा 4 (1) के तहत है। इस धारा में स्पष्ट यह लिखा गया है कि 2009 या उससे पूर्व के महाविद्यालय भविष्य में भी केंद्रीय विवि से जुड़े रहेंगे। इन महाविद्यालयों को असंबद्ध किए जाने के लिए अधिनियम में संसद से संशोधन करना अनिवार्य है। वक्ताओं ने यह तर्क भी दिया कि केंद्रीय गढ़वाल विवि ही नहीं देश में पांच अन्य विवि और भी हैं, जिनसे संबद्ध कॉलेजों को वहां की राज्य सरकार की ओर से अनुदान प्राप्त है। इनमें दिल्ली विवि, असम विवि, डॉ. हरी सिंह गौर विवि, मणिपुर विवि, नागालैंड विवि और हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि शामिल हैं। देश में कम से कम 13 केंद्रीय विवि ऐसे हैं, जिनमें अनेक महाविद्यालय संबद्ध हैं, तो उत्तराखंड में राज्य सरकार को क्या समस्या है। उत्तर प्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 में यह व्यवस्था की गई थी कि प्रत्येक राज्य में कार्यरत कर्मचारियों की सेवा शर्तों व उनको प्राप्त वेतन और पेंशन आदि का भुगतान होगा। साथ ही उनके अन्य हितों के उसी रूप में संरक्षित किया जाएगा, जैसा कि उन्हें राज्य बनने से पूर्व प्राप्त हो रहे हैं। रविंद्र जुगरान ने कहा कि कैबिनेट ने यदि यह फैसला वापस नहीं लिया तो वह इस फैसले को न्यायालय में चुनौती देंगे।

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