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इको सेंसिटिव जोन के दायरे में आये केदारघाटी के 23 गांव

इको सेंसिटिव जोन के दायरे में आये केदारघाटी के 23 गांव

केदारनाथ राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत आने वाले जनपद रुद्रप्रयाग व चमोली के 23 गांव व 5 चट्टियां इको सेंसिटिव जोन के दायरे में आएंगे। लेकिन केदारनाथ मंदिर को इससे बाहर रखा गया है। एनजीटी ने भारत सरकार को एक माह में इको जोन की सीमा निर्धारण के निर्देश दिए हैं। इधर, विभागीय स्तर पर इस मामले में कवायद शुरू हो गई है।

केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के डीएफओ अमित कंवर ने बताया कि प्रभागीय क्षेत्र में 12 गांव सेंचुरी एरिया में हैं। दो दिन पूर्व एनजीटी से पत्र मिला है, जिसमें केदारनाथ राष्ट्रीय उद्यान की पर्यावरणीय सीमा का निर्धारण का आदेश दिया गया है। सेंचुरी के 12 गांवों सहित अन्य 11 और गांव ईको सेंसिटिव जोन के दायरे में आ रहे हैं। साथ ही चोपता, बनियाकुंड, पांगरबासा सहित 5 प्राचीन चट्टियां भी शामिल हैं।

बता दें कि वर्ष 2012-13 में सुप्रीम कोर्ट ने वन्य जीव विहार और नेशनल पार्को में बढ़ रही मानवीय गतिविधियों को रोकने के लिए इको सेंसिटिव जोन बनाने के के निर्देश दिए थे। साथ ही ऐसा नहीं करने पर कोर्ट ने सेंचुरी व पार्क के 10 किमी के दायरे को इको सेंसिटिव जोन बनाने के लिए 26 शर्ते निर्धारित की थी।

इसके अनुपालन में तब, प्रभागीय स्तर पर इको सेंसिटिव जोन का प्रस्ताव भेजा गया था, जिसमें दोनों जिलों रुद्रप्रयाग और चमोली के के 38 गांव शामिल थे, जो केदारनाथ वाइल्ड लाइफ सेंचुरी से बाहर शून्य से सात किमी के क्षेत्र में शामिल थे। इस पर, केदारनाथ तीर्थ पुरोहित समाज ने भी कड़ी आपत्ति जताई थी। इस संबंध में केंद्र व राज्य सरकार के संबंधित अधिकारियों को ज्ञापन भी भेजा गया था। कहा था कि इको सेंसिटिव जोन घोषित होने से यहां के पर्यटन व तीर्थाटन पर व्यापक असर पड़ेगा।

बाद में वन्य जीवों की संख्या व आबादी क्षेत्र पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन कर प्रस्ताव में पुन: संशोधन किया गया। अब, रुद्रप्रयाग व चमोली जनपद के 23 गांवों सहित 5 चट्टियों को इको सेसिंटिव जोन के दायरे में रखा गया है। इधर, डीएफओ कंवर ने बताया कि वे इसी संबंध में दो दिन पूर्व दिल्ली में हुई बैठक से लौटे हैं। एनजीटी द्वारा मिले निर्देशों के तहत इको सेसिंटिव जोन घोषित करने की कार्रवाई जल्द की जाएगी।

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