गृह राज्यमंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने पत्रकारों को बताया कि आयोग ने खंड में अपनी फाइनल रिपोर्ट पेश की है जो तीन हजार से अधिक पेज की बताई जा रही है। करीब 44 हजार 445 शपथ पत्रों व 488 सरकारी अधिकारी व पुलिस अधिकारियों के शपथ पत्र के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है। जडेजा ने बताया कि गोधरा कांड में 58 कारसेवक जिंदा जला दिए गए थे, जबकि 40 जख्मी हो गए थे।
मोदी बतौर मुख्यमंत्री घटनास्थल का मुआयना करने गए थे। उन पर सबूत नष्ट करने के आरोप भी निराधार पाए गए हैं। जडेजा ने बताया कि सीएम आवास व कार्यालय पर दंगों को रोकने के लिए पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों की बैठकें हुई, लेकिन पुलिस प्रशासन को दंगाइयों को खुली छूट देने के आरोप भी निराधार पाए गए हैं।
प्रदीप सिंह जडेजा ने बताया कि दंगों के बाद कांग्रेस, कई गैर-सरकारी संगठन तथा विदेशी संस्थाओं ने नरेंद्र मोदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करके उनकी छवि करने की कोशिश की थी। मोदी ने मुख्यमंत्री के रूप में दंगों पर काबू पाने व लोगों के जानमाल की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक प्रयत्न किए। नानावटी मेहता आयोग ने अपनी पहली रिपोर्ट 18 नवंबर 2014 को तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को सौंपी थी। बुधवार को आयोग ने अपनी फाइनल रिपोर्ट पेश की है।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने गुजरात दंगा मामलों की जांच के लिए अप्रैल 2008 में वरिष्ठ आईपीएस आर के राघवन की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया तथा जून 2009 में स्पेशल कोर्ट बनाई, जिसने सितंबर 2010 में अपना पहला फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2017 में 11 दोषियों को फांसी की सजा बरकरार रखी थी।